बेंगलुरु। कर्नाटक में एक दलित व्यक्ति के मंदिर में प्रवेश करने पर हंगामा खड़ा हो गया है। दलित व्यक्ति के मंदिर प्रवेश से कथित उच्च जाति के लोग इतने भड़क गए कि उन्होंने पंचायत बिठाकर जुर्माना लगाया। जुर्माना स्वरूप दलित व्यक्ति को 11 हजार रुपए खर्च कर सामूहिक भोज देने के किए मजबूर किया गया। कर्नाटक में ऐसा ही एक और मामला सामने आया था जहां दो साल के दलित बच्चे के मंदिर में घुसने पर परिजनों को 25 हजार जुर्माना देने के लिए कहा गया था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक बीते 14 सितंबर को कर्नाटक के कराटागी के एक गांव में दलित युवक लक्ष्मी देवी मंदिर में पूजा करने गया था। बताया जा रहा है कि गांव के उच्च जाति के लोगों ने नियम बना रखा है कि मंदिर में दलित लोग नहीं जा सकते हैं। नियमों के विपरीत दलित युवक अपना अनुष्ठान पूरा करने के लिए मंदिर चला गया, जिसपर गांव वाले भड़क गए। इसके बाद पुजारी के कहने पर लोगों ने उसे 11 हजार रुपए खर्च कर भोज देने के लिए मजबूर किया।

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पुलिस अधीक्षक टी श्रीधर ने इस खबर की पुष्टि करते हुए कहा, 'ये सच है कि एक व्यक्ति को मंदिर में प्रवेश करने पर 11 हजार रुपए की दावत देने को मजबूर किया गया। पुलिस इस मामले की छानबीन कर रही है। अबतक इस मामले में आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है।' कराटागी का यह मामला ऐसे समय में आया है जब कर्नाटक के ही कोप्पल जिले की घटना चर्चा में है, जहां एक दलित परिवार पर 25 हजार रुपए जुर्माना लगाया गया था। 

दरअसल, बीते 4 सितंबर को कोप्पल जिले के मियापुरा गांव में दलित परिवार प्रार्थना के लिए मंदिर आया था। हालांकि, यह परिवार अंदर नहीं बल्कि बाहर से ही भगवान का आशीर्वाद ले रहा था। लेकिन इसी दौरान उनका दो साल का बेटा भागकर मंदिर के भीतर चला गया। दलित बच्चे के मंदिर में घुसने से पुजारी इतना भड़क गए की उन्होंने हंगामा खड़ा कर दिया।

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गांव वालों को जब इस बात की भनक लगी तो उन्होंने पंचायत बुलाकर दलित परिवार पर 25 हजार का जुर्माना लगाया। कहा गया कि जुर्माने की राशि से मंदिर का शुद्धिकरण कराया जाएगा। हालांकि, दलित परिवार इतने पैसे देने के लिए सक्षम नहीं था। गांव के अन्य दलितों ने भी यह कहते हुए जुर्माने का विरोध किया कि दो साल के बच्चे ने अनजाने में गलती की है। मामला जब प्रशासनिक अधिकारियों के पास पहुंचा तब किसी तरह उन्होंने समझौता कराया।

खास बात ये है कि प्रशासन ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए समझौता कर मामले को दबाने का प्रयास किया। हालांकि, पुलिस को तब कार्रवाई करनी पड़ी जब सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट के असिस्टेंट डायरेक्टर ने दबाव बनाया। डायरेक्टर का कहना था कि प्रशासन के जाते ही उच्च जाति के लोग दलित परिवार को प्रताड़ित करने लग जाएंगे। चूंकि कोई कार्रवाई न होने से इनकी हिम्मत बढ़ जाएगी। लिहाजा पुलिस को कथित ऊंची जाति के पांच लोगों को गिरफ्तार करना पड़ा।