सिंगरौली: तीन सफाईकर्मी मैला साफ करने सीवर में उतरे, मगर जिंदा नहीं लौटे

बीच सड़क पर 30 फीट गहरे सीवर में उतरे थे तीन सफाईकर्मी, दम घुटने से हुई दर्दनाक मौत, बिना सुरक्षा उपकरण दिए सीवर लाइन में उतारे गए थे सभी मजदूर, मध्य प्रदेश के सिंगरौली का मामला

Updated: Oct 20, 2021, 04:01 AM IST

सिंगरौली। मध्य प्रदेश के सिंगरौली में सिस्टम को शर्मसार करने वाला हादसा हुआ है। यहां सीवर की सफाई करने के लिए टैंक में उतरे तीन मजदूरों की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि बीच सड़क पर 30 फीट गहरे सीवर में बगैर सुरक्षा उपकरण के इन्हें उतरने को मजबूर किया गया था। मामला सामने आने के बाद जिला कलेक्टर ने कार्रवाई का आदेश दिया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक शुक्रवार को शाम करीब 4 बजे जिला मुख्यालय से तीन किलोमीटर दूर बैढ़न-कचनी मुख्य मार्ग में दो सफाईकर्मी 30 फीट गहरी सीवर लाइन में उतरे थे। उनका लोकेशन लेने के लिए एक सफाईकर्मी बाहर खड़ा था। सीवर लाइन में उतरने के काफी देर बाद तक जब नीचे से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली तो बाहर खड़े मजदूर को अनहोनी का आशंका हुआ। इसके बाद तीसरा मजदूर भी साथियों को मदद के लिए नीचे उतरा। लेकिन फिर वह भी वापस नहीं लौटा।

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इस दौरान वहां मौजूद अन्य लोगों ने जब हंगामा किया तो नगर निगम और जिला प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची। प्रशासन की काफी मशक्कत से करीब दो घंटे बाद मजदूरों को बाहर निकाला गया, लेकिन दम घुटने से उनकी मौत हो चुकी थी। इस हादसे में सिंगरौली के ही रहने वाले कन्हैयालाल यादव व नरेंद्र कुमार रजक वहीं भोपाल के रहने वाले इंद्रभान सिंह की मौत हो गई। प्रशासनिक लापरवाही के कारण हुई इन मौतों के लिए जिला प्रशासन ने सीवर साफ करने वाली ठेकेदार कंपनी केके स्पन को आरोपी बनाया है। 

पुलिस ने कंपनी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया है। सिंगरौली जिला कलेक्टर राजीव रंजन मीणा ने कहा है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। हालांकि, सवाल ये उठ रहा है कि जब शहर में सीवर लाइन मेंटेनेंस का काम चल रहा था तो नगर निगम प्रशासन ने ठेकेदार को सुरक्षा मानकों के इंतजाम के लिए क्यों नहीं बोला और बोला भी तो उसकी मॉनिटरिंग क्यों नहीं की गई। बहरहाल, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि तकनीक के इस दौर में भी सीवर की सफाई में इंसान मर रहे हैं।

क्यों होती है सीवर में मौत

दरअसल, टॉयलेट से निकलने वाला मैला और अन्य जगहों का गंदा मिश्रण जब सीवर में फंस जाता है तो उसके भीतर खतरनाक गैस बन जाती है। बावजूद उसे साफ करने के लिए मजदूरों को ही अंदर भेजा जाता है। बिना उपयुक्त सुरक्षा के सीवर में जाना जानलेवा साबित होता है। सीवर की सफाई ऐसा काम है जिसे करने के लिए मशीनों की मदद ली जा सकती है। लेकिन 21वीं सदी के भारत में आज भी सीवर को साफ करने के लिए इंसान उतर रहे हैं जिससे उनकी असमय मृत्यु हो जाती है।