नई दिल्ली। ऑक्सीजन ऑडिट रिपोर्ट से दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर गंभीर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। केजरीवाल सरकार पर आरोप है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली सरकार ने बढ़ा चढ़ाकर ऑक्सीजन की डिमांड को दर्शाया, जिस वजह से उस दौरान देश के बारह राज्यों को ऑक्सीजन की भारी किल्लत से जूझना पड़ा। 

ज़रूरत से चार गुना अधिक दर्शायी ऑक्सीजन की डिमांड 

ऑक्सीजन ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार केजरीवाल सरकार ने ज़रूरत से चार गुना अधिक ऑक्सीजन की डिमांड को दर्शाया। ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली को 29 अप्रैल से 10 मई के दरमियान 289 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता थी, लेकिन केजरीवाल सरकार ने इस अवधि में 1190 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की डिमांड रखी। 

रिपोर्ट में इस बात की तस्दीक की गई है कि दिल्ली सरकार के पास पर्याप्त ऑक्सीजन की व्यवस्था थी। जिस वजह से बाकी ऑक्सीजन किल्लत झेल रहे अन्य राज्यों तक पहुंचाई जा सकती थी। लेकिन दिल्ली सरकार द्वारा ज़रूरत से डिमांड बताने के कारण देश भर में कुल बारह राज्य ऐसे थे, जिनके समक्ष ऑक्सीजन की किल्लत पैदा हुई। 

हालांकि यह ऑक्सीजन ऑडिट रिपोर्ट अभी शुरुआती है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को रोजना सात सौ मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई की जाने के निर्देश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में ऑक्सीजन की किल्लत से निपटने के लिए बारह सदस्यीय टास्क फोर्स भी बनाया था। दिल्ली के लिए अलग से चार सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी। जिसमें ऐम्स के चीफ रणदीप गुलेरिया, मैक्स के संदीप बुद्धिराजा सहित दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के एक- एक अधिकारी भी शामिल थे। ऑक्सीजन ऑडिट की यह रिपोर्ट 30 जून को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की जानी है।