नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने उत्तर प्रदेश के बागपत में एक जैन मंदिर में श्रुति देवी की प्रतिमा स्थापित किए जाने के खिलाफ हुए हंगामे को लेकर बेहद गंभीर सवाल उठाया है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने इस घटना की जानकारी देने वाले एक ट्वीट को शेयर करते हुए देश के लोगों को जर्मनी में हिटलर के अत्याचारी दौर की याद दिलाई है। साथ ही उन्होंने उस वक्त के मशहूर जर्मन कवि पास्टर मार्टिन निमोलर की कविता को याद करते हुए देश के लोगों से नफरत फैलाने वाली ताकतों का एकजुट होकर मुकाबला करने की अपील भी की है। 



कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने जर्मन कवि की कविता को याद करते हुए ट्विटर पर लिखा है, "मुझे हिटलर राज के समय की पास्टर मार्टिन निमोलर की वह कविता याद आती है..“पहले वे सोशलिस्टों के लिए आए, लेकिन मैं खामोश रहा रहा क्योंकि मैं सोशलिस्ट नहीं था....और आखिरकार वे मेरे लिए आए, लेकिन तब तक वहां कोई नहीं बचा था जो मेरे लिए बोलता।” भारत के लोगों को समझना चाहिए।"





दिग्विजय सिंह ने यह कविता जिस घटना के संदर्भ में याद की है, वो उत्तर प्रदेश के बागपत की है। उन्होंने इस बारे में स्वतंत्र  पत्रकार प्रशांत कनौजिया का वो ट्वीट भी शेयर किया है, जिसमें घटना की जानकारी दी गई है। प्रशांत कनौजिया ने लिखा है, पहले मुस्लिम, फिर दलित/पिछड़े, फिर सिख अब जैन।' प्रशांत ने इसके साथ वो ट्वीट भी साझा किया है जिसमें दिगंबर जैन कॉलेज में एबीवीपी कार्यकर्ताओं के हंगामे का वीडियो अटैच है।



क्या है पूरा मामला



उत्तर प्रदेश के बागपत में एबीवीपी के कार्यकर्ताओं पर मंगलवार को 106 साल पुराने दिगंबर जैन कॉलेज में जमकर हंगामा करने का आरोप लगा है। आऱोप है कि ये कार्यकर्ताओं कॉलेज में स्थापित मां श्रुति देवी की प्रतिमा को बदलकर वहां देवी सरस्वती की प्रतिमा लगाने की मांग कर रहे थे। इस दौरान एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने यह धमकी भी दी कि अगर जल्द ही श्रुति देवी की मूर्ति वहां से हटाई नहीं गई तो वे शांत नहीं बैठेंगे। 





 



यह भी पढ़ें: मध्य प्रदेश में महंगा साबित हो रहा है नया मंडी कानून, ठगी के शिकार 48 किसान



दरअसल, बागपत में करीब 106 वर्ष पुराना दिगंबर जैन डिग्री कॉलेज है, जहां जैन धर्म से जुड़ी श्रुति देवी की मूर्ति लगी हुई है। अंग्रेजों के जमाने से संचालित हो रहे इस कॉलेज में इसे लेकर अबतक कभी कोई विवाद नहीं हुआ, लेकिन अब एबीवीपी कार्यकर्ता वहां से श्रुति देवी की मूर्ति को हटाना चाहते हैं। आरोप है कि संघ परिवार से जुड़े छात्र संगठन का एबीवीपी पर कहना है कि शैक्षणिक संस्थान में जैन मुनि की प्रतिमा होना मां सरस्वती का अपमान है। एबीवीपी के इस हंगामे के खिलाफ जैन समाज ने निंदा प्रस्ताव भी पारित किया है।



कौन थे मार्टिन निमोलर जिनकी कविता का दिग्विजय सिंह ने किया जिक्र



पास्टर मार्टिन निमोलर जर्मन कवि थे। उन्हें जर्मनी में नाजी शासन के विरोध के लिए, खास तौर पर उनकी इस कविता के लिए जाना जाता है जिसे कांग्रेस नेता ने साझा किया है। मार्टिन की इस कविता को दमनकारी ताकतों के खिलाफ संघर्षों में एकजुटता का संदेश देने के लिए बड़े पैमाने पर याद किया जाता है। कविता का मुख्य भाव यही है कि अगर आप अत्याचार और नफरत के खिलाफ एकजुट नहीं होंगे तो दमनकारी ताकतें बारी-बारी से सबको अपना शिकार बना लेंगी। आप अगर दूसरों पर हो रहे अत्याचार के समय यह सोचकर मूक दर्शक बने रहते हैं कि इससे आपको फर्क नहीं पड़ता तो आप गलत हैं। क्योंकि अत्याचारी कभी किसी को नहीं बख्शते और जब वे आपको निशाना बनाएंगे तो आपके लिए बोलने वाला भी कोई नहीं होगा। 



निमोलर की इस मशहूर कविता का हिंदी अनुवाद कुछ इस तरह है...



पहले वे आए सोशलिस्टों के लिए

और मैं कुछ नहीं बोला

क्योंकि मैं सोशलिस्ट नहीं था।



फिर वे आये कम्युनिस्टों के लिए

और मैं कुछ नहीं बोला

क्योंकि मैं कम्युनिस्ट नहीं था।



फिर वे आये ट्रेड यूनियन वालों के लिए

और मैं कुछ नहीं बोला

क्योंकि मैं ट्रेड यूनियन में नहीं था।



फिर वे आये यहूदियों के लिए

और मैं कुछ नहीं बोला

क्योंकि मैं यहूदी नहीं था।



फिर वे मेरे लिए आये

और तब तक कोई नहीं बचा था

जो मेरे लिए बोलता।



- पास्टर मार्टिन निमोलर