नई दिल्ली। भारत के दीपावली पर्व को बुधवार 10 दिसंबर 2025 को यूनेस्को की इंटैन्जिबल कल्चरल हेरिटेज ऑफ ह्यूमैनिटी की प्रतिनिधि सूची में शामिल कर लिया गया है। यह ऐतिहासिक निर्णय दिल्ली स्थित लालकिले परिसर में चल रही यूनेस्को की 20वीं इंटर-गवर्नमेंटल कमेटी फॉर द सेफगार्डिंग ऑफ इंटैन्जिबल कल्चरल हेरिटेज की बैठक के दौरान लिया गया। भारत पहली बार इस महत्वपूर्ण समिति की मेजबानी कर रहा है। जैसे ही ऐलान हुआ वैसे ही सभागार वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारों से गूंज उठा।
यूनेस्को ने दीपावली को एक ऐसे सामुदायिक त्योहार के रूप में परिभाषित किया है जो चंद्र कैलेंडर के अनुसार अक्टूबर और नवंबर के बीच अमावस्या की रात मनाया जाता है। यह त्योहार वर्ष की अंतिम फसल और नए मौसम के आरंभ का प्रतीक माना जाता है। यूनेस्को के अनुसार, दीपावली प्रकाश के अंधकार पर और अच्छाई के बुराई पर विजय का उत्सव है। इसमें लोग घरों और सार्वजनिक स्थानों की सफाई व सजावट करते हैं, दीप प्रज्वलित करते हैं, आतिशबाजी करते हैं और समृद्धि व मंगलकामना की प्रार्थना करते हैं।
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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने भी इस उपलब्धि को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किया है। जायसवाल ने लिखा कि दीपावली केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में मनाया जाने वाला ऐसा उल्लासपूर्ण त्योहार है जो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की अयोध्या वापसी और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। अब यूनेस्को के इस निर्णय के बाद इस त्योहार को वैश्विक मान्यता मिल गई है।
इस फैसले के साथ भारत की उन परंपराओं की संख्या 16 हो गई है जिन्हें अब तक यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में स्थान दिया जा चुका है। इससे पहले इस सूची में कुंभ मेला, कोलकाता की दुर्गा पूजा, गुजरात का गरबा, योग, वैदिक मंत्रोच्चारण की परंपरा, रामलीला और पंजाब के जंदियाला गुरु के ठठेरों की परंपरागत धातु कारीगरी जैसी विरासतें शामिल हैं। साल 2024 में नवरोज को भी सूची में जोड़ा गया था।
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दूसरी ओर यह बैठक भारत के लिए इसलिए भी खास है क्योंकि इसी साल भारत ने इंटैन्जिबल कल्चरल हेरिटेज को संरक्षित करने संबंधी 2003 के यूनेस्को कन्वेंशन की अपनी 20वीं वर्षगांठ पूरी की है। यह कन्वेंशन जीवित सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों की रक्षा पर केंद्रित है जिन पर वैश्वीकरण, सामाजिक बदलाव और संसाधनों की कमी जैसी परिस्थितियों के कारण खतरे बढ़ रहे हैं।
लालकिले जैसे विश्व धरोहर स्थल में हो रही यह उच्चस्तरीय बैठक भारत की सांस्कृतिक पेशकश और विरासत संरक्षण के प्रयासों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर और मजबूत करती दिखाई दे रही है। भारत में यूनेस्को के स्थायी प्रतिनिधि विषाल वी. शर्मा इस सत्र की अध्यक्षता कर रहे हैं। 8 से 13 दिसंबर तक चलने वाली यह बैठक वैश्विक सांस्कृतिक धरोहरों के भविष्य को लेकर महत्वपूर्ण निर्णयों का मंच बन रही है।
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