कोलकाता। पश्चिम बंगाल की राजधनी कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 124 वीं जयंती के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ था। इस कार्यक्रम में शिरकत करने खुद प्रधानमंत्री मोदी पहुंचे थे। राज्य के गवर्नर जगदीप धनकड़ भी कार्यक्रम में मौजूद थे। लेकिन कार्यक्रम में कुछ ऐसा घटित हुआ जो अनुशासन और लोकतंत्र की दुहाई देने वाली बीजेपी के दावों से बिल्कुल विपरीत था।

दरअसल संस्कृति मंत्रालय की तरफ से आयोजित इस कार्यक्रम में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी आमंत्रित किया गया था। कार्यकर्म में अपना भाषण देने के लिए ममता बनर्जी जब स्टेज की ओर बढ़ीं तो कार्यक्रम में मौजूद कुछ बीजेपी समर्थक लोगों ने अचानक मोदी-मोदी और जय श्री राम के नारे लगाने शुरू कर दिए। जिस समय ये नारे लग रहे थे, उस दौरान खुद प्रधानमंत्री भी कार्यक्रम में मौजूद थे। यह सब ममता को उत्तेजित करने के लिए किया जा रहा था। 

गुस्साई ममता ने भी स्टेज पर जा कर मंच से करारा जवाब दिया। ममता ने दो टूक में कहा कि यह सरकारी कार्यक्रम है, किसी राजनीतिक दल का कार्यक्रम नहीं। अगर आप किसी कार्यक्रम में किसी व्यक्ति को आमंत्रित करते हैं तो आमंत्रित व्यक्ति के सम्मान की रक्षा करने की ज़िम्मेदारी आपकी होनी चाहिए। आप उस व्यक्ति की बेइज्जती नहीं कर सकते। 

ममता बनर्जी ने इतना कहा और अपना भाषण वहीं रोक दिया। ममता मंच से उतर गईं। इसके कुछ ही समय बाद प्रधानमंत्री मोदी बोलने लगे और ममता बनर्जी को दीदी कह कर संबोधित करने लगे। हालांकि ममता बनर्जी का अपमान पहली बार नहीं किया गया है। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी बीजेपी कार्यकर्ता ममता बनर्जी को देखकर उन्हें उकसाने के लिए जय श्री राम के नारे लगाते थे। ममता तब भी यही कहती थीं कि राम का नाम धर्म के संदर्भ में लेना चाहिए राजनीति में नहीं। ममता ने पिछले साल जून महीने में कहा भी था कि उन्हें राम के नाम पर नारा लगाने से कोई एतराज़ नहीं है लेकिन बीजेपी इसका इस्तेमाल अपनी राजनीति के लिए करती है। राजनीति के लिए धर्म का यह इस्तेमाल ठीक नहीं है।