शिमला। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन के पूर्व निदेशक अश्विनी कुमार ने खुदकुशी कर ली है। मीडिया में पुलिस सूत्रों के हवाले से आई खबरों के मुताबिक अश्विनी कुमार का शव शिमला के उनके आवास में फांसी पर लटका पाया गया। उन्होंने यह खौफनाक कदम क्यों उठाया, इसकी पूरी जानकारी अब तक सामने नहीं आई है। शिमला के एसपी मोहित चावला की अगुवाई में पुलिस टीम मामले की जांच कर रही है। पुलिस ने आत्महत्या का संदेह जताया है।

एनडीटीवी के मुताबिक पुलिस को घटनास्थल से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है, जिसमें लिखा है कि मैं जिंदगी से तंग आकर अगली यात्रा पर निकल रहा हूं। एक पुलिस अधिकारी के तौर बेहद अहम जिम्मेदारियां संभाल चुके पूर्व आईपीएस अधिकारी की खुदकुशी स्तब्ध करने वाली है। 

न्यूज़ वेबसाइट द प्रिंट के मुताबिक एक पुलिस अधिकारी ने उन्हें बताया कि अश्विनी कुमार के परिवार वाले इस हादसे से हैरान हैं। परिवार वालों का कहना है कि अश्विनी कुमार के डिप्रेशन में होने के कोई लक्षण उन्हें नहीं दिखाई दिए।परिवार वालों का कहना है कि वे शाम तक बिलकुल ठीक-ठाक थे। द प्रिंट के मुताबिक पुलिस अधिकारी ने कहा कि पता नहीं उन्होंने यह खौफनाक कदम क्यों उठाया। पुलिस अफसर ने कहा कि इस बारे में अभी ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता।

हिमाचल प्रदेश कैडर के आईपीएस अफसर रहे अश्विनी कुमार 2006 से 2008 के दौरान हिमाचल प्रदेश के डीजीपी रहे, जिसके बाद उन्हें दो साल के लिए सीबीआई निदेशक बनाया गया। वे 2013 से 2014 के बीच नागालैंड के गवर्नर भी रहे। इसी दौरान उन्होंने कुछ समय के लिए मणिपुर के राज्यपाल का कार्यभार भी संभाला। अश्विनी कुमार के सीबीआई निदेशक रहने के दौरान ही एजेंसी ने नोएडा के चर्चित आरुषि तलवार मर्डर केस की छानबीन की थी। इस पड़ताल को लेकर सीबीआई के ज्वाइंट डायरेक्टर अरुण कुमार के साथ अश्विनी कुमार के मतभेद भी सुर्खियों में रहे थे। 2010 में सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर केस में अमित शाह के खिलाफ चार्जशीट भी उनके कार्यकाल में ही दायर की गई थी। हालांकि बाद में अमित शाह इस मामले में बरी हो गए। इसके अलावा वे कॉमनवेल्थ घोटाले की जांच की शुरूआत करनेवाले भी थे।