वो दिन दूर नहीं जब आप कुछ सोचें और फेसबुक पर बिल्कुल वैसा ही लिखा जाए। जी हां, फेसबुक आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस तकनीक का उपयोग करके एक ऐसा सेंसर बना रहा है जो इंसान के दिमाग को पढ़कर उसी हिसाब से काम करने में सक्षम होगा। खबर है कि इसके लिए फेसबुक एक नई माइंड रीडिंग तकनीक पर काम कर रहा है। इसकी मदद से फेसबुक यूजर के मन में आ रहे विचार टाइप हो सकेंगे। फेसबुक अब लोगों की सोच का पता लगाने और उसे ऐक्शन में बदलने की तैयारी में हैं।

मीडिया रिपोर्ट की मानें तो फेसबुक ने अपने कर्मचारियों को इस बारे में बताया है कि वह एक ऐसा टूल विकसित करने में जुटी है, जो किसी भी न्यूज़ आर्टिकल की समरी तैयार करने में सक्षम होगा। ताकि उनके यूज़र्स को उस आर्टिकल को पढ़ने की आवश्यकता ही ना पड़े। बज़फीड न्यूज़ की ओर से दावा किया गया है कि उनके पास फेसबुक की किसी मीटिंग की ऑडियो क्लिप है, जो अब तक सार्वजनिक नहीं है। दावा किया जा रहा है कि यह ऑडियो फेसबुक के हजारों कर्मचारियों के लिए प्रसारित हो चुका है।

बताया जा रहा है कि इस ऑडियो में फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग और कंपनी के आला अधिकारियों का प्री रिकॉर्डेड संदेश है। कहा जा रहा है कि साल के अंत में होने वाली फेसबुक कर्मचारियों के साथ इंटर्नल मीटिंग में कंपनी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस असिस्टेंट टूल TDLR यानी Too long didn’t read प्रेजेंट किया है, जो किसी भी न्यूज़ आर्टिकल की समरी तैयार करने में सक्षम है। जिससे रीडर को पूरा आर्टिकल नहीं पढ़ना पड़ेगा। वहीं फेसबुक एक वर्चुअल रियलिटी बेस्ड सोशल नेटवर्क Horizon पर भी काम कर रहा है, जिसमें यूजर्स अपने अवतार के साथ बात चीत कर सकेंगे। 

दरअसल 2019 में न्यूरल इंटरफेस स्टार्टअप CTRL लैब्स का अधिग्रहण फेसबुक ने किया था, जो ब्रेन रीडिंग प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। अगर यह सब सही दिशा में काम करता है तो वह दिन दूर नहीं जब इंसान के दिमाग में चल रहे विचारों को ऐक्शन में बदला जा सकेगा। फेसबुक पर डेटा मैनिपुलेशन और प्राइवेसी में दखलअंदाजी का आरोप लग चुका है, ऐसे में अब लोगों के दिमाग पढ़ने की तकनीक पर लोगों का क्या रिएक्शन होगा यह तो तकनीक के सामने आने के बाद ही पता चलेगा।