नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्यसभा में दिए गए भाषण से किसान नेताओं में भारी नाराज़गी है। ख़ास तौर पर उन्हें आंदोलनजीवी परजीवी वाली टिप्पणी किसान नेताओं को बेहद आपत्तिजनक लगी है। किसान नेताओं का मानना है कि मोदी ने यह टिप्पणी करके आंदोलन करने वालों का अपमान किया है। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ़ से बयान देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की आंदोलनजीवी परजीवी वाली टिप्पणी अपने अधिकारों के लिए आंदोलन करने वाले किसानों का अपमान है। उन्होंने कहा कि देश के किसान प्रधानमंत्री को याद दिलाना चाहते हैं कि देश को अंग्रेजों के साम्राज्यवाद से आज़ादी आंदोलनों ने ही दिलाई थी, इसलिए हमें आंदोलनजीवी होने पर गर्व है।

अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री प्रदर्शन कर रहे किसानों को आंदोलनजीवी परजीवी कहकर उनका अपमान किया है। किसान संगठन माँग करते हैं कि वे फ़ौरन अपना बयान वापस लें और संसद में इसके लिए माफ़ी माँगें। उन्होंने कहा कि किसानों का अपमान करने वाली यह टिप्पणी एक कॉरपोरेट-जीवी प्रधानमंत्री ने की है, जिनका आरएसएस अंग्रेजों की ग़ुलामी के ख़िलाफ़ भारत की जनता के महान आंदोलन में कभी शामिल नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जिस फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी (FDI) यानी विदेशी विध्वंसकारी विचारधारा का ज़िक्र किया वह फासिज़्म पर पूरी तरह फ़िट है।

दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राज़्यसभा में दिए भाषण में कहा था कि कुछ लोग हमेशा आंदोलन करने का बहाना खोजते रहते हैं। ऐसे लोग आंदोलनजीवी होते हैं और आंदोलनजीवी हमेशा परजीवी होते हैं। देश को ऐसे आंदोलनजीवी परजीवी लोगों को पहचानकर उनसे बचना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि आम तौर पर FDI का मतलब फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट यानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश होता है, जिससे अर्थव्यवस्था मज़बूत होती है। लेकिन आजकल एक और FDI देखने को मिल रहा है, जिसका मतलब है फ़ॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी यानी विदेश विध्वंसकारी विचारधारा। प्रधानमंत्री के इन्हीं बयानों पर किसान नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया ज़ाहिर की है।