अमेरिका की बायोटेक कंपनी मॉडर्ना की कोविड वैक्‍सीन के विकास पर भारत सरकार लगातार नजर बनाए हुए है। सोमवार को कंपनी ने दावा किया है कि उसने जो कोविड वैक्सीन विकसित की है, वो बड़े पैमाने पर किए गए तीसरे चरण के ट्रायल में 94.5 प्रतिशत असरदार साबित हुई है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भारत सरकार मॉडर्ना के अलावा कोरोना वैक्सीन बना रही कई और कंपनियों के भी संपर्क में है। सूत्रों के मुताबिक भारत सरकार कोरोना वैक्सीन के बारे में मॉडर्ना के साथ-साथ फायज़र, सीरम इंस्टीट्यूट, जाइडस कैडिला और भारत बायोटेक के साथ भी लगातार संपर्क में है और उनकी वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के हर चरण की लगातार जानकारी ले रही है।

फायज़र की वैक्सीन से क्यों बेहतर है मॉडर्ना का टीका

मॉडर्ना की बनाई कोरोना वैक्सीन इस मामले में बेहतर है कि इसे सामान्य रेफ्रिजरेटर के 2 से 8 डिग्री के तापमान पर करीब 30 दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है। जबकि फ्रीज़र में माइनस 20 डिग्री के तापमान पर यह वैक्सीन 6 महीने तक प्रभावी बनी रहेगी। वैक्सीन की यह खूबी उसे भारत के करोड़ों लोगों तक पहुंचाने में बेहद मददगार साबित होगी। इसकी तुलना में एक और अंतरराष्ट्रीयदवा कंपनी फायज़र जो कोरोना वैक्सीन तैयार कर रही है, उसे डीप फ्रीज़र में माइनस 70 डिग्री के तापमान पर रखा ज़रूरी है। भारत और दूसरे विकासशील देशों के लिए ऐसा करना आसान नहीं होगा। फायज़र की वैक्सीन 90 फीसदी असरदार पाई गई है। इस लिहाज से भी मॉडर्ना की वैक्सीन बेहतर मानी जा रही है।

मॉर्डना कंपनी की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक तीसरे चरण में उसकी वैक्सीन का ट्रायल करीब 30 हज़ार लोगों पर किया गया है, जिसमें यह 94.5 फीसदी असरदार साबित हुई है।मॉडर्ना को उम्मीद है कि वह इस साल के अंत तक अमेरिका में वैक्सीन की 2 करोड़ खुराक तैयार कर लेगी। 2021 में कंपनी 50 करोड़ से एक अरब खुराक का उत्पादन करने का लक्ष्य लेकर चल रही है।