नई दिल्ली। कृषि कानूनों और किसान आंदोलन को लेकर सरकार की चुप्पी को किसान नेता राकेश टिकैत ने किसानों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी का संकेत बताया है। राकेश टिकैत ने कहा है कि सरकार की खामोशी से लगता है वो किसानों के खिलाफ कोई बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रही है। सरकार ज़रूर इसके लिए कोई रूपरेखा तैयार कर रही है।  

राकेश टिकैत ने यह बात बिजनौर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही। टिकैत ने कहा, पिछले 15 - 20 दिनों से सरकार की खामोशी से यही संकेत मिल रहे हैं कि सरकार इस आंदोलन को समाप्त करने के लिए कोई न कोई योजना बना रही है। हालांकि इसके साथ ही टिकैत ने किसानों के मजबूत इरादों का एलान करते हुए यह भी साफ कर दिया कि जब तक समस्याओं का समाधान नहीं निकाला जाएगा तब तक किसान डटे रहेंगे।  

राकेश टिकैत ने कहा कि अब गेहूं की फसल भी जल्द ही तैयार हो जाएगी। किसानों की फसल एमएसपी पर बिके, यह सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी केंद्र सरकार की है। टिकैत ने कहा कि अगर किसानों को उनकी फसल के उचित दाम नहीं मिले तो किसान अलग-अलग जिलों में जिलाधिकारी कार्यालय के सामने धरना देंगे। टिकैत ने गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के लिए सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया। टिकैत ने कहा कि यह सारा बखेड़ा सरकार ने ही खड़ा किया था।   

केन्द्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन तीन महीने से भी ज्यादा समय से जारी है। लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से लंबे अरसे से किसानों के साथ बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए कोई पहल नहीं की गई है। इस बीच, आंदोलन में शामिल किसानों ने भी साफ कर दिया है कि वार्ता की पहल सरकार को ही करनी होगी। किसान अपनी तरफ से वार्ता की कोई पेशकश नहीं करेंगे। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री ने आज एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र में निजीकरण को बढ़ावा देना समय की मांग है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का बचाव भी किया है। उनके भाषण से तो यही ज़ाहिर हो रहा है कि कृषि क़ानूनों के मसले पर सरकार के तेवर ज़रा भी नर्म नहीं पड़े हैं।