नई दिल्ली। कांग्रेस निशाना साधना केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को तब भारी पड़ गया जब इतिहासकार ने उन्हें 1857 की याद दिला दी। दरअसल, सिंधिया ने विपक्षी एकता पर निशाना साधते हुए कहा था कि वे सत्ता के लिए एकसाथ आए हैं। इसपर पलटवार करते हुए इतिहासकार अशोक कुमार पाण्डेय ने सिंधिया खानदान की बखिया उधेड़ते हुए बताया कि कब-कब सत्ता के लिए सिंधिया खानदान के लोगों ने समझौता किया।



सिंधिया ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए एक ट्वीट में लिखा था कि, "1947 - सत्ता के लिए भारत तोड़ा।  1975 - सत्ता के लिए आपातकाल लागू किया। 2022 - सत्ता के लिए तुष्टिकरण से ओत-प्रोत भारत जोड़ो यात्रा की। 2023 - सत्ता के लिए व भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए गठबंधन INDIA जोड़ो। ये जोड़-तोड़ की राजनीति वर्षों से कांग्रेस की विचारधारा का हिस्सा रही है। नए गठबंधन की सूरत भी वही, नीयत भी वही।"



सिंधिया के इस ट्वीट पर पलटवार करते हुए इतिहासकार अशोक कुमार पाण्डेय ने लिखा, "1857- सत्ता के लिए ख़ानदान ने अंग्रेजों का साथ दिया, रानी लक्ष्मीबाई को धोखा 

1947- सत्ता के लिए दादा नेहरूजी के राज में राजप्रमुख यानी राज्यपाल बने 

1957-67 - सत्ता के लिए दादी कांग्रेस से सांसद रहीं 

1975- 2001 पिता कांग्रेस के सांसद थे, दादी ने आरोप लगाया कि उन्होंने ही गिरफ़्तार करवाया अपनी माताजी को 

कांग्रेस से सांसद -मंत्री रहे, पार्टी छोड़ी वापस लौटे 

2001-14 सत्ता के लिए ख़ुद कांग्रेस सांसद रहे, सरकार बनी तो मंत्री रहे 

2019- सत्ता के लिए लड़े लेकिन चुनाव हार गये। सिंधिया खानदान से चुनाव हारने वाले पहले व्यक्ति बनने का गौरव मिला। 

2020- सत्ता के लिए पार्टी बदल ली, भाषा बदल गई, जज़्बात बदल गये।"





बता दें कि सन 1857 में आजादी की पहली लड़ाई के दौरान इतिहास में सिंधिया राजवंश की भूमिका एक गद्दार के रूप में दर्ज है। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का जिक्र आते ही सिंधिया घराने के लोग चुप्पी साध लेते हैं। बीजेपी में जाने के बाद सिंधिया ने गद्दारी का दाग धोने की तमाम कोशिशें की लेकिन खानदान पर लगा गद्दारी का दाग नहीं मिट रहा है।