नई दिल्ली। जजों की नियुक्ति में हो रही देरी पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद कानून मंत्री किरण रिजिजू का बड़ा बयान सामने आया है। रिजिजू ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट मालिक नहीं है बल्कि देश की जनता ही असली मालिक है। जजों की नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट की केंद्र सरकार को कड़े शब्दों में संदेश के बाद कानून मंत्री का यह बयान आया है।

कानून मंत्री शनिवार को प्रयागराज में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने जजों की नियुक्ति में हो रही देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जताई गई नाराज़गी पर मीडिया रिपोर्टिंग को आड़े हाथों लिया। रिजिजू ने उल्टे मीडिया को ही कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि इस मामले में मीडिया ने गलत संदर्भ में रिपोर्टिंग की है। यहां कोई किसी को चेतावनी नहीं दे सकता। 

बीजेपी नेता ने कहा कि यह देश संविधान से चलता है। हम संविधान के अनुरूप ही काम करते हैं। जनता ही हमारी अलसी मालिक है। सभी लोग इसके सेवक हैं। हमारा मार्गदर्शक अगर कोई है तो वह संविधान है। संविधान के मुताबिक और जनता के हिसाब से यह देश चलेगा, कोई किसी को चेतावनी नहीं दे सकता। मैं ख़ुद को इस महान देश के सेवक के रूप में देखता हूं, मुझे काम करने का मौका मिला, यही बहुत बड़ी बात है। आप सब प्रिवलेज लोग हैं, जज वकील बने हैं, पढ़ लिखकर ही बने हैं।

दरअसल कॉलेजियम ने 13 दिसंबर को ही पांच जजों के नामों की सिफारिश की थी। सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति में हो रही देर पर सख्त रुख अपना लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में केंद्र सरकार को कहा था कि हमें स्टैंड लेने पर मजबूर न करें, जिससे परेशानी हो। सुप्रीम कोर्ट के इस रुख को देखते हुए केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दायर कर बताया था कि वह पांच दिन के भीतर ही सिफारिश किए गए नामों की नियुक्ति को हरी झंडी दे देगी। 

हालांकि केंद्र सरकार ने इसके महज़ 24 घंटे के अंदर ही सिफारिश किए गए नामों को मंजूरी दे दी। इसमें राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पंकज मित्तल, पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल, मणिपुर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार, पटना हाई कोर्ट के जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस मनोज मिश्रा का नाम शामिल है।