नई दिल्ली। भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर का आज महापरिनिर्वाण दिवस है। उनका निधन आज ही के दिन साल 1956 में हुआ था। उनके महापरिनिर्वाण दिवस पर देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में उन्‍हें श्रद्धांजलि दी जा रही है। इस बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष राहुल गांधी, मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह समेत कई दिग्गजों ने उन्‍हें नमन किया है।



राष्ट्रपति कोविंद ने ट्वीट किया, 'हमारे संविधान के प्रमुख शिल्पी, देश की वित्त व विधि-व्यवस्था तथा समग्र विकास को दिशा देने वाले, समता और न्याय पर आधारित समाज व शासन प्रणाली के लिए आजीवन संघर्षरत रहे महान राष्ट्र-निर्माता बाबासाहब बी आर आंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर उनकी पुण्य-स्मृति को सादर नमन।' उन्होंने आगे लिखा कि, 'आज, हम सभी देशवासी, उनके  द्वारा सुझाए गए संविधान-सम्मत रास्तों पर चलते हुए, आर्थिक और सामाजिक न्याय, अवसर की समता तथा बंधुता के आदर्शों को साकार करने का संकल्प लें।'





पीएम मोदी ने बाबासाहेब को पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि हम उनके सपनों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा, 'महापरिनिर्वाण दिवस पर महान डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को श्रद्धांजलि देता हूं। उनके विचार और आदर्श आज भी लाखों लोगों को ताकत देते रहते हैं। हम उनके राष्ट्र के प्रति सपनों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।'





कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने भी डॉ. आंबेडकर को याद किया। उन्‍होंने ट्वीट में लिखा, 'आज हम देश के निर्माण में डॉ. आंबेडकर के योगदान को याद कर रहे हैं। पूरे भारत को सभी प्रकार के भेदभाव से पूरी तरह मुक्‍त करना ही उन्‍हें दी गई सच्‍ची श्रद्धांजलि होगी।





दिग्गज कांग्रेस नेता व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने एक वीडियो साझा करते हुए लिखा, 'भारत रत्न' से सम्मानित, समृद्ध और सुरक्षित भारत की नींव डालने में अहम किरदार निभाने वाले बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर जी की पुण्यतिथि पर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि। शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो। बाबा साहब अम्बेडकर अमर रहें।'





 




बता दें कि सम्मान से बाबा साहेब कहे जाने वाले डॉक्टर बी आर आम्बेडकर एक महान विधिवेत्ता होने के साथ ही साथ अपने दौर के दिग्गज अर्थशास्त्री, उच्चकोटि के दार्शनिक, राजनेता और समाज सुधारक भी थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। इसके साथ ही उन्होंने देश में श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों के लिए भी काफी काम किया था। समाज में वंचित  वर्गों को बराबरी का अधिकार दिलाने के लिए वे जीवनभर संघर्ष करते रहे।


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बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के धनी आंबेडकर को जातीय छुआछूत की वजह से प्रारंभ‍िक श‍िक्षा लेने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। स्‍कूल में उनका उपनाम उनके गांव के नाम के आधार पर आंबडवेकर ल‍िखवाया गया था। स्‍कूल के एक टीचर को उनसे बड़ा लगाव था और उन्‍होंने उनके उपनाम आंबडवेकर को सरल करते हुए उसे अंबेडकर कर दिया था। वे मुंबई की एल्‍फिंस्‍टन रोड पर स्थित गवर्नमेंट स्‍कूल के पहले दलित छात्र थे।



डॉक्‍टर अंबेडकर एक प्रकांड विद्वान थे जिसके चलते कांग्रेस के साथ वैचारिक मतभेदों के बावजूद पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उन्‍हें स्‍वतंत्र भारत की पहली सरकार में देश के पहले कानून मंत्री की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी थी। डॉ अंबेडकर को 29 अगस्‍त, 1947 को देश का संविधान बनाने के लिए गठित प्रारूप समिति का अध्‍यक्ष भी न‍ियुक्‍त क‍िया गया था। अपनी इसी भूमिका की वजह से उन्हें भारत का संविधान निर्माता भी कहा जाता है। मार्च 1952 में उन्हें राज्यसभा के लिए नियुक्त किया गया और फिर अपनी मृत्यु तक वो इस सदन के सदस्य रहे।