अहमदाबाद। भारत के स्वाधीनता संग्राम की चर्चा साबरमती आश्रम के जिक्र के बगैर अधूरी है। साबरमती आश्रम बापू की धरोहर है। गांधी के इस पवित्र आश्रम को केंद्र की मोदी सरकार और गुजरात की विजय रूपानी सरकार बदलना चाहती है। इसे नए सिरे से संवारने के नाम पर 1200 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। हालांकि, सरकार के इस योजना का दिग्गज हस्तियों ने विरोध किया है और इसे गांधी की दूसरी हत्या करार दिया है।

देशभर के विभिन्न क्षेत्रों की 130 हस्तियों ने खुला खत लिखकर इस रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट का विरोध किया है। पत्र लिखने वालों में महात्मा गांधी के परपोते राजमोहन गांधी, इतिहासकार रामचंद्र गुहा, स्वाधीनता सेनानी जीजी पारीख, जवाहरलाल नेहरू की भतीजी नयनतारा सहगल, हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज एपी शाह, सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी, योगेंद्र यादव, अरुणा रॉय, पत्रकार पी साईनाथ समेत कई दिग्गज हस्ती शामिल हैं।

इन्होंने गांधीवादी संस्थाओं के सरकारी अधिग्रहण को रोकें शीर्षक के साथ साझा बयान जारी किया है। पत्र में लिखा गया है कि, 'प्रत्येक साल लाखों भारतीयों और दुनियाभर से लोग साबरमती आश्रम को देखने आते हैं। लोगों को आकर्षित करने के लिए साबरमती आश्रम को कभी वर्ल्ड क्लास मेकओवर की ज़रूरत नहीं पड़ी। गांधी के करिश्मे के साथ-साथ इस जगह की सादगी ही काफी है।' 

पत्र में यह भी लिखा गया है कि गांधी के हत्यारों की जो विचारधारा थी, उससे सहमति रखने वाले लोग इस सरकार में भी हैं। ऐसे में इन बातों को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है कि वे बापू से जुड़ी सभी स्मृतियों और धरोहरों का व्यवसायीकरण कर देना चाहते हैं। ये आश्रम स्वाधीनता संग्राम की विरासत है। सुंदरीकरण और वाणिज्यीकरण में ये कहीं खोकर रह जाएगा। ये प्रोजेक्ट गांधी की दूसरी हत्या जैसा है।

दरअसल, गुजरात सरकार ने इसी साल मार्च में इस प्रोजेक्ट की मंजूरी दी है। इसका नाम गांधी आश्रम मेमोरियल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट रखा गया है और 1200 करोड़ रुपए खर्च होने हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बापू के इस धरोहर को विश्व स्तरीय बनाने के लिए नए संग्रहालय, एम्फीथिएटर, वीआईपी लाउंज, दुकानें, फूड कोर्ट सहित अन्य चीजें बनाने की योजना है। 

महात्मा गांधी ने साल 1917 से 1930 के बीच इसी आश्रम में रहते हुए भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया था। यह संभव है कि रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद यहां सुविधाएं बढ़ जाएंगी और आश्रम भी आधुनिक हो जाएगा। हालांकि, आधुनिकरण के बाद आश्रम से गांधी का स्पर्श भी चला जाएगा।