नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच बनी हुई तनाव की स्थिति को लेकर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि निश्चित तौर पर यह 1962 के बाद से सबसे गंभीर स्थिति है। 1962 में दोनों देशों के बीच युद्ध हुआ था। जयशंकर ने कहा, “निश्चित तौर पर यह 1962 के बाद से सबसे गंभीर स्थिति है। 45 सालों के बाद चीन के साथ संघर्ष में सैनिक मारे गए हैं। जिस तरह से दोनों पक्षों ने सीमा पर सैनिकों की तैनाती की है, वह भी अभूतपूर्व है।”

रेडिफ डॉट कॉम को दिए गए एक इंटरव्यू में एस जयशंकर ने बताया कि पहले भी सीमा पर इस तरह का तनाव हुआ है लेकिन तब इसे बातचीत से सुलझा लिया गया। जून में गलवान घाटी में दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इस झड़प में भारत के 20 सैनिकों की जान चली गई थी। चीन ने भी अपने सैनिकों के मारे जाने की बात स्वीकारी थी, हालांकि उसने संख्या का खुलासा नहीं किया।

इस हिंसक झड़प के बाद से ही भारत और चीन के सैन्य अधिकारी सीमा पर तनाव घटाने के लिए कई चरण की बातचीत कर चुके हैं। बताया जा रहा है कि चीन के सैनिक गलवान घाटी से तो पीछे चले गए हैं लेकिन उत्तरी पैंगोग सो, डेपसांग और फिंगर एरिया में वे अभी भी कब्जा जमाए हुए हैं।

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गलवान में हुई हिंसक झड़प के बाद प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत की सीमा में ना तो कोई घुसा है, ना घुसा हुआ है और ही किसी पोस्ट पर कब्जा हुआ है। दूसरी तरफ रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी एक दस्तावेज में बताया गया कि चीनी सैनिकों ने मई में ही भारतीय इलाकों में घुसपैठ की। बाद में इस दस्तावेज को हटा लिया गया।