नई दिल्ली।
समाचार पत्रों, टीवी, पत्रिकाओं और रेडियो जैसे पारम्परिक मास मीडिया के जरिये परोसी जा रही खबरों के प्रति भारत के लोगों की आदत बदल रही है। इन माध्यमों के जरिये प्रसारित खबरों को लेकर भारतीय उदासीन होते जा रहे हैं। यही कारण है कि अखबार, टीवी, रेडियो से खबरें पढ़ने और जानने के मामले में दोहरे अंक में गिरावट आई है। वर्ष 2019 और 2021 के बीच राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस ) 5 के इस महीने जारी किए गए आंकड़ों से ये बात पता चल रही है। वर्ष 2015-16 में हुई एनएफएचएस के चौथे सर्वे रिपोर्ट के मुकाबले वर्ष 2019-2021 में आई रिपोर्ट के मुताबिक अखबार, मैगज़ीन पढ़ने, टीवी पर खबरें देखने, रेडियो सुनने वाले लोगों की हिस्सेदारी में दोहरे अंक की गिरावट आई है।
वर्ष 2015-2016 में हुए सर्वे रिपोर्ट में 25 फीसदी महिलाओं और 14 फीसदी पुरुषों ने दावा किया था कि वे पारंपरिक मास मीडिया (अखबार,टीवी, मैगज़ीन और रेडियो) के संपर्क में नहीं हैं। जबकि वर्ष 2019 में 41 फीसदी महिलाओं और 32 फीसदी पुरुषों का कहना है कि वे अख़बार, टीवी, मैगज़ीन और रेडियो के सम्पर्क में नहीं है। पारम्परिक मास मीडिया में आई इस गिरावट पर कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि एनएफएचएस की ये रिपोर्ट व्यापक नहीं है और इसमें डिजिटल माध्यमों द्वारा परोसी जा रही सामग्री का कोई उल्लेख नहीं किया गया है।
इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी के अध्यक्ष मोहित जैन के अनुसार एनएफएचएस -5 का डाटा भले ही समाचार इंडस्ट्री के अनुरूप नहीं है लेकिन डिजिटल प्लेटफार्म पर खबरों की उपलब्धता के कारण न्यूज़ पढ़ने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है।
दरअसल न्यूज़ मीडिया का मतलब अभी तक केवल समाचार पत्रों और टीवी से लगाया जाता रहा है। लेकिन अब भौतिक रूप से न सही लोग डिजिटल प्लेटफार्म पर जाकर खबरों को पढ़ और सुन रहे हैं। लेकिन एनएफएचएस -5 की सर्वे रिपोर्ट से ये स्पष्ट है कि प्रिंट और टीवी न्यूज़ इंडस्ट्री की ओर से परोसी जा रही खबरों के प्रति लोगों की उदासीनता बढ़ रही है और लोग इन खबरों से खुद को कनेक्ट नहीं कर पा रहे हैं।
एनएफएचएस के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2005-06 और 2015-16 के दौरान पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं के बीच टीवी, पत्रिकाओं और न्यूज़पेपर के प्रसार में वृद्धि हुई है। लेकिन वर्ष 2019-2021 की अवधि में ये प्रवृत्ति बिलकुलउलट गई है। एनएफएचएस -5 के आंकड़ों से पता चलता है कि पुरुषों के समाचार पत्रों या पत्रिकाओं के पढ़ने में सबसे ज्यादा गिरावट आई है, जबकि महिलाओं ने खुद को टीवी से सबसे ज्यादा दूर किया है।