नई दिल्ली। कोविड-19 की वजह से मौत का शिकार हुए लोगों के परिजनों को मुआवजा देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। शीर्ष न्यायालय ने कोरोना पीड़ितों को मुआवजा देने का निर्देश जारी किया है। कोर्ट ने इसके लिए केंद्र सरकार को 6 हफ्ते के भीतर गाइडलाइंस तैयार करने को कहा है। मुआवजा की राशि क्या होगी यह तय करने का अधिकार न्यायालय ने केंद्र सरकार को दिया है।

मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि कोरोना पीड़ितों को मुआवजा सहित राहत के न्यूनतम मानक प्रदान करना राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के लिए वैधानिक रूप से अनिवार्य है। मुआवजा ने देकर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण अपने वैधानिक कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रहा है। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कोई मुआवजा तय नहीं कर सकती। सरकार को अपनी नीति और संसाधनों के हिसाब से पीड़ित परिवार को राहत देने का निर्णय लेना होगा।

यह भी पढ़ें: अब पेंशनर की हत्या के बाद भी नहीं रोकी जाएगी पेंशन, सरकार ने बदला 50 साल पुराना नियम

शीर्ष न्यायालय ने आज केंद्र सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें सरकार ने कहा था कि कोरोना से जान गंवाने वाले सभी लोगों के परिजनों को मुआवजा नहीं दिया जा सकता है।केंद्र ने तर्क दिया था कि ऐसा करने से आपदा राहत कोष खाली हो जाएगा। इसपर कोर्ट ने कहा कि देश के पास सीमित संसाधन नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि पीड़ितों को अनुग्रह राशि देना आपदा प्रवंधन विभाग का कर्तव्य है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा भारत ने कोरोना महामारी के कारण लगभग 3 लाख 90 हजार मौतें हुई हैं, जिसे आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत आपदा घोषित किया गया है। ऐसे में पीड़ितों को मुआवजा देना अनिवार्य है। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि हम मुआवजे की राशि तय नहीं कर रहे हैं। लेकिन सरकार को छह हफ्ते के भीतर प्रत्येक कोविड पीड़ित दी जाने वाली अनुग्रह राशि निर्धारित करने का विस्तृत गाइडलाइंस जारी करे।

यह भी पढ़ें: अयोध्या में पत्रकार पर हुआ जानलेवा हमला, बीजेपी विधायक पर लगा पत्रकार पर हमले का आरोप

दरअसल, विपक्षी दल लगातार केंद्र सरकार से यह मांग पर रहे थे कि कोरोना पीड़ितों को राष्ट्रीय आपदा अधिनियम के तहत मुआवजा दी जाए। आपदा से मौत की स्थिति में 4 लाख रुपए मुआवजे का प्रावधान है। हालांकि, केंद्र ने स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया था। इसी संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एम याचिका दायर की गई थी, जिसमें केंद्र और राज्यों को आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 के तहत कोरोना के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को चार लाख रुपये का मुआवजा देने का अनुरोध किया गया।

याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इसपर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में में कहा कि आपदा प्रबंधन कानून में मुआवजे का प्रावधान केवल भूकंप, बाढ़, चक्रवात, सूखा, सूनामी, भूस्खलन, हिमस्खलन, बादल फटना आदि प्राकृतिक आपदाओं पर ही लागू है और इसे कोरोना महामारी पर लागू नहीं किया जा सकता है। केंद्र के इस तर्क को शीर्ष न्यायालय ने सिरे से खारिज करते हुए अब मुआवजा देने का निर्देश जारी कर दिया है।