नई दिल्ली। इस समय दुनिया का हर तीसरा बच्चा अपने शरीर में मौजूद ज़हर के साथ जी रहा है। यूनिसेफ और प्योर अर्थ नामक एक गैर लाभकारी संगठन ने अपनी संयुक्त रिपोर्ट में दावा किया है कि इस समय दुनिया के लगभग एक तिहाई बच्चे सीसा विषाक्तता यानी lead poisoning से प्रभावित हैं। यह रिपोर्ट 'विषाक्त सच : बच्चों  का सीसा प्रदूषण से संपर्क, एक समूची पीढ़ी को नष्ट करता है' के नाम से 30 जुलाई को जारी की गई।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दुनिया भर में 80 करोड़ से भी ज़्यादा बच्चे सीसा विषाक्तता से प्रभावित हैं। जिसमें भारत के 27 करोड़ से भी ज़्यादा बच्चे इस सीसा विषाक्तता की समस्या से जूझ रहे हैं। अपनी तरह की पहली रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रभावित बच्चों के रक्त में सीसा का स्तर पांच माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर या उससे अधिक है। अहम् बात यह है कि सीसा विषाक्तता से जूझ रहे दुनिया के एक तिहाई बच्चों की आधी आबादी दक्षिण एशिया में रहती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बचपन के दौरान सीसा का जोखिम अपराध व हिंसा सहित मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार समस्याओं से जुड़ा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार सीसा सीधे बच्चों के दिमाग को विकसित होने से पहले ही नुक्सान पहुंचा सकता है।जो कि शारीरिक हानि का भी एक बहुत बड़ा कारण बन सकता है।

रिपोर्ट में भारतीय बच्चों के बारे में क्या कहा गया है ? 
रिपोर्ट के अनुसार भारत में 27 करोड़ से भी अधिक बच्चे सीसा विषाक्तता से प्रभावित हैं।रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय बच्चों के रक्त में सीसा के स्तर के मेटा-विश्लेषण से पता चला है कि सीसा एक्सपोजर बच्चों की आईक्यू के लिए बहुत बड़ा खतरा है। वे अपनी बुद्धिलब्धि (आईक्यू) चार अंकों तक खो सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, सीसा के संपर्क में आने वाले बड़े बच्चों में गुर्दे की क्षति और हृदय रोग भी प्रचलित हैं।

 रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्यम और कम आय वाले देश सीसा के जोखिम की समस्या से सबसे अधिक प्रभावित हैं। रिपोर्ट के एक अनुमान के मुताबिक़ दुनिया के एक तिहाई बच्चों में मौजूद इस ज़हर के कारण कई देशों ने एक ट्रिलियन की अपनी आर्थिक क्षमता खो दी है।