नई दिल्ली/देहरादून। उत्तराखंड में एक बार फिर फेरबदल के आसार बनने लगे हैं। लेकिन इस मर्तबा कारण राजनीतिक नहीं बल्कि संवैधानिक है। दरअसल मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत इस समय विधानसभा के निर्वाचित सदस्य नहीं हैं। चूंकि राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए वे संवैधानिक नियम के अनुसार वे चुनाव से पहले अब निर्वाचित नहीं हो सकते। 

कांग्रेस नेता और उत्तराखंड सरकार में मंत्री रहे नव प्रभात ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा कि चूंकि मौजूदा सीएम वर्तमान में विधायक नहीं हैं, इसलिए उनके पद पर अब संवैधानिक संकट पैदा हो रहा है। नियमों के मुताबिक उन्हें सितंबर तक निर्वाचित होना है। लेकिन संवैधानिक नियम के मुताबिक राज्य में अभी उपचुनाव नहीं हो सकते।

तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए सितंबर तक हर हाल में सदन के सदस्य के तौर पर निर्वाचित होना है। लेकिन जनप्रतिनिधि अधिनियम की धारा 151A के तहत, वहां उपचुनाव नहीं हो सकते जहां एक साल के भीतर चुनाव होने हैं। इस हिसाब से उत्तराखंड में हल्दवानी और गंगोत्री की दो सीटें खाली होने के बावजूद तीरथ सिंह रावत विधायक के तौर पर निर्वाचित नहीं हो सकते। 

तीरथ सिंह रावत को इस साल मार्च में त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह मुख्यमंत्री बनाया गया था। गढ़वाल लोकसभा सीट से सांसद तीरथ सिंह रावत को पार्टी में आंतरिक कलह और गुटबाजी के कारण सीएम पद पर पदस्थ कर दिया गया था।