नई दिल्ली। राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता में गठित संसदीय स्थायी समिति ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के लिए अपनी DFG रिपोर्ट जारी की है। समिति ने सिफारिश की है कि केंद्र सरकार लंबे समय से हिंसा से प्रभावित मणिपुर में आंतरिक रूप से विस्थापित महिलाओं और बच्चों के लिए एक विशेष समिति का गठन करे क्योंकि वहां के लोगों को संघर्ष की वजह से अभूतपूर्व संकट का सामना करना पड़ा है। साथ ही समिति ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को मिलने वाले मानदेय को दोगुना किए जाने और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कल्याण बोर्ड के गठन की सिफारिश की है।
दिग्विजय सिंह की अगुवाई में शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल संबंधी स्थायी समिति ने अपनी सिफारिश में कहा, 'मणिपुर पिछले 21 महीनों से लगातार असाधारण संकट से जूझ रहा है, इस दौरान वहां पर सैकड़ों लोगों की जान चली गई और 50 से 60 हजार लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं।'
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समिति ने कहा कि प्रभावित लोगों में महिलाओं और बच्चों की संख्या ज्यादा हैं, जो बेघर हुए हैं और उन्हें खासे संकट का सामना करना पड़ रहा है। सरकार ने पीड़ितों की मदद के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं, लेकिन अभी और बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। समिति यह सिफारिश करती है कि महिला और बाल विकास मंत्रालय आंतरिक रूप से विस्थापित इन महिलाओं और बच्चों के लिए लक्षित और अलग योजना के साथ एक समर्पित विशेष समिति गठित करे।
साथ ही समिति का सुझाव है कि राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) को मणिपुर में कानून-व्यवस्था से जुड़े गंभीर मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि वहां के लोगों का मौजूदा तंत्र में भरोसा और आत्मविश्वास खत्म हो गया है। बता दें कि मई 2023 से मणिपुर में मेइती और कुकी समूहों के बीच जातीय हिंसा लगातार जारी है और इस हिंसा में 250 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। हिंसा की वजह से हजारों लोग भी बेघर हो गए।
कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह की अगुवाई वाली इस समिति ने कई अन्य सिफारिशें भी की हैं। इसमें आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को मिलने वाले मानदेय को भी दोगुना किए जाने और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कल्याण बोर्ड का गठन की सिफारिश की गई है। इसके अलावा सभी आंगनवाड़ियों को सक्षम आंगनवाड़ी एवं शिशुगृह केंद्र में बदला जाए जहां 6 माह से 6 साल तक के बच्चों के लिए बाल देखभाल सुविधाएं उपलब्ध हों।
समिति की ओर से साल 2025 के अंत तक आंगनवाड़ियों में 2.13 लाख खाली पड़े पदों को भरने की बात कही गई है। इसके अलावा समिति ने 2032 तक कुपोषण और एनीमिया उन्मूलन के लिए एक राष्ट्रीय मिशन की स्थापना का भी सुझाव दिया गया है। साथ ही प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में संशोधन करते हुए सभी गर्भवती महिलाओं को दी जाने वाली राशि 5,000 रुपये से बढ़ाकर न्यूनतम 6,000 रुपये करने की भी सिफारिश की गई है। इसके अलावा समिति ने बच्चों की कल्याण से जुड़े सभी कानूनों, नीतियों और हितधारकों के बीच सामंजस्य बनाने के लिए एक समग्र राष्ट्रीय ढांचा तैयार करने की सिफारिश की है।