महज तीन माह पहले की बात है, शिवराज सिंह चौहान सरकार में उनकी तूती बोलती थी। शिवराज के पसंदीदा अफसरों की ताकत इतनी कि क्‍या सीनियर, क्‍या जूनियर, हर अधिकारी उनके अंदाज से भयभीत सा था। फिर वक्‍त बदला। बीजेपी सत्‍ता में तो आई लेकिन शिवराज सिंह मुख्‍यमंत्री नहीं रहे। सीएम बदलते ही इन अफसरों के दिन भी बदल गए। अर्श से फर्श पर आ बैठे। एक माह तक बिना काम रहे फिर इन अधिकारियों को काम मिला लेकिन दोयम दर्जे का। 

नए मुख्‍यमंत्री बने डॉ. मोहन यादव ने सबसे पहले शिवराज सिंह चौहान सरकार में मुख्‍यमंत्री के प्रमुख सचिव रहे मनीष रस्‍तोगी को हटाया। फिर जनसंपर्क आयुक्‍त मनीष सिंह और मुख्‍यमंत्री के सचिव रहे आईएस नीरज वशिष्‍ठ को हटा दिया गया। इन अधिकारियों को एक माह तक कोई पद नहीं दिया गया। एक ही पार्टी की सरकार में अधिकारियों के साथ ऐसा दंडात्‍मक बर्ताव समूची ब्‍यूरोक्रेसी के लिए हतप्रभ करने वाला था। 

एक माह बाद सभी को पद दिए गए तो यह निर्णय भी चौंकाने वाला था। कद्दावर रहे प्रमुख सचिव मनीष रस्‍तोगी को जेल विभाग जैसे कमतर विभाग में भेज दिया गया। मनीष सिंह को बनाया राज्य उपभोक्ता प्रतितोषण विवाद आयोग में रजिस्टार बनाया गया जबकि नीरज वशिष्‍ठ को विमुकत घुमंतु तथा अर्द्धघुमंतु विभाग में संचालक बना दिया गया। एक तरह से यह अपमानजनक पोस्टिंग ही है। 

इस आदेश के तीन बाद एक आदेश और जारी हुआ जिसमें सीधी भर्ती के आईएस मनीष रस्‍तोगी का कद एकदम से बढ़ा दिया गया। जेल विभाग के प्रमुख सचिव का प्रभार अतिरिक्‍त रूप से देते हुए उन्‍होंने सामान्‍य प्रशासन विभाग का प्रमुख सचिव बना दिया गया। वे मुख्‍य सचिव कार्यालय में समन्‍वय का कार्य भी देखेंगे। सामान्‍य प्रशासन विभाग वह महत्‍वपूर्ण विभाग है जो अफसरों की पोस्टिंग-ट्रांसफर से लेकर प्रशासन से जुड़े हर मामले को देखता है।

इसतरह सीधी भर्ती वाले आईएएस मनीष रस्‍तोगी को तो फिर से ताकत मिल गई लेकिन प्रमोटी आईएएस मनीष सिंह की किस्मत में वनवास ही है। लंबे समय तक शिवराज की टीम का हिस्‍सा रहे नीरज वशिष्‍ठ के साथ भी ऐसा ही हुआ है। इसका एक संकेत यह भी है कि सीधी भर्ती के आईएएस को तो राहत मिल गई लेकिन प्रमोटी अफसर शिवराज के करीबी होने का दंड भुगत रहे हैं। उन्‍हें कोई खेवनहार नहीं मिला।

कर्मचारियों की कमी पूरी करने बढ़ा देंगे उम्र

बेरोजगारों ने सरकार की एक लाख नौकरियों के वादे पर भरोसा जरूर किया है लेकिन पटवारी भर्ती सहित अन्‍य भर्तियों में कई तरह के पेंच फंसे हुए हैं। उम्र निकल रही है और निर्णय हो नहीं पा रहे हैं। साल-दर-साल सरकारी नौकरी मिलने का सपना और दूर होता जा रहा है। अब सरकार कर्मचारियों की कमी और पदोन्नति में देरी से उपजी नाराजगी को देखते हुए कर्मचारियों की रिटायरमेंट की उम्र 65 करने जा रही है। 

इस दिशा में सरकार कुछ कदम आगे भी बढ़ गई है। सीएम ऑफिस की पहल के बाद कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त राज्य कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष रमेश शर्मा ने कर्मचारियों की रिटायर होने की आयुसीमा बढ़ाकर 65 करने का प्रस्‍ताव भेज दिया है। 

इससे पहले 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले जून में रिटायरमेंट की आयुसीमा 60 से बढ़ाकर 62 साल की गई थी। प्रदेश में अभी तक प्राध्यापक, चिकित्सक, स्टाफ नर्स एवं अन्य सेवाओं में सेवानिवृत्ति की आयुसीमा 65 साल है। वहीं, बाकी के लिए यह सीमा 62 वर्ष है। अब सभी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 साल करने की तैयारी है।

लेकिन सरकार के इस कदम से बेरोजगार युवा नाराज हैं। वे मांग कर रहे हैं कि सरकार को यह निर्णय नहीं करना चाहिए। ऐसा हुआ तो युवाओं से नौकरी और दूर हो जाएगी। 
 
जिसके मास्टर थे उसी से खाई मात

सीनियर आईएएस पी. नरहरि अपनी बिरादरी में सोशल मीडिया के एक्‍सपर्ट माने जाते हैं। 2017 में देश के 10 सबसे पॉपुलर आईएएस अधिकारियों में शामिल किए गए पी. नरहरि को बीजेपी सरकार की सबसे चर्चित योजनाओं में से एक लाडली लक्ष्मी योजना बनाने तथा इंदौर को क्लीन सिटी बनाने जैसे कार्यों का श्रेय दिया जाता है। बड़ी जिम्‍मेदारी मिलने की चर्चाओं के बीच सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग के सचिव पी. नरहरि साइबर क्राइम का शिकार हो गए।  

प्रशासनिक गलियारों में हड़कंप की स्थिति बन गई जब एक अश्लील वॉट्सऐप चैट वायरल हुई। शिकायतों के बाद आरंभिक जांच कर पुलिस ने अंदेशा जताया है कि किसी जालसाज ने पी. नरहरि को शिकार बनाया है। निजी सेक्टर में काम करने वाली एक महिला के साथ उनकी अश्लील फर्जी वॉट्सऐप चैट बनाकर उसे वायरल किया गया। 

इसीतरह, छत्‍तीसगढ़ के कद्दावर मंत्री रहे बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता के रिश्तेदार आईएएस अभिजीत अग्रवाल को आबकारी आयुक्त बनाने के कुछ ही घंटों के अंदर उनके खिलाफ पोस्ट सोशल मीडिया में वायरल हो गई। इस पोस्‍ट में उनके कार्यकाल तथा भ्रष्‍टाचार के मामलों पर सवाल उठाया गया है। अभिजीत अग्रवाल तो इस मामले में थोड़ी राहत में हैं कि पदस्‍थापना के बाद सवाल उठे हैं लेकिन पी. नरहरि तो जिस काम में मास्‍टर से उसी में मात खा गए। संभव है कि चैट वायरल नहीं होती तो उन्‍हें ताजा तबादला सूची में नई पोस्टिंग मिल जाती। 

धैय चूक रहा, कब आएगी आईपीएस की बारी

मुख्यमंत्री मोहन यादव के पद संभालने के बाद प्रशासनिक जमावट शुरू कर दी थी जो अब तक जारी है। इस फेरबदल में कई आईएएस प्रभावित हुए हैं लेकिन आईपीएस का इंतजार अभी पूरा नहीं हुआ है। कुछ आईपीएस को बदला जरूर गया है लेकिन लंबे समय से एसपी, डीआईजी, आईजी सहित मैदानी पोस्टिंग की प्रतीक्षा में बैठे अफसरों को आईएएस की ही तरह सूची आने का इंतजार है।

लंबे होते इंतजार के बीच वे मनचाहा पद पाने के लिए संघ और बीजेपी के प्रभावशील पदाधिकारियों के यहां भी अर्जी लगवा रहे हैं। सूची बस आने को है कि सूचनाओं के बीच अब बस आस यही है कि अच्‍छी खबर लेकर आ जाए सूची।