प्रशासनिक जगत में कैडर का बड़ा झगड़ा है। आईएएस और आईपीएस की प्रतिस्‍पर्धा और वर्चस्‍व की लड़ाई तो जग-जाहिर है। इसी तरह कहते हैं कि जंगल और जेल विभाग की अपनी अलग दुनिया है। इन विभागों में अपने खास नियम और तानाशाही चलती है। अब जब मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पचमढ़ी में चिंतन बैठक की और इस बैठक में चुनिंदा आईएएस भी शामिल हुए तो आईएफएस (इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के अफसर) भला पीछे कैसे रहें?

इंडियन फारेस्‍ट सर्विस डिपार्टमेंट के अफसरों ने भी अपनी अलग चिंतन बैठक आयोजित कर ली है। इस बैठक के लिए उन्होंने पचमढ़ी की बजाय भोपाल के पास सीहोर जिले में बने एक बीजेपी विधायक के रिसोर्ट को चुना है। यह वही रिसार्ट है जहां  मुख्‍यमंत्री बीते साल कैबिनेट बैठक कर चुके हैं। कहा गया है कि इस रिसोर्ट में 1 व 2 अप्रैल को होने वाली बैठक में वन विभाग का अपना रोडमैप बनाया जाएगा।

बैठक में वन विभाग के सीनियर आईएफएस अधिकारी शामिल होंगे। लेकिन खुद वनमंत्री विजय शाह आएंगे या नहीं इस पर निगाहें लगी हुई हैं। यूं भी वन मंत्री बीते कुछ समय में सरकार से खिंचे-खिंचे से हैं। अपने बयानों और क्रियाकलापों के कारण चर्चा में रहनेवाले वनमंत्री पचमढ़ी कैबिनेट बैठक में अधिक सक्रिय नहीं दिखाई दिए थे। संभव है कि रिसोर्ट चिंतन बैठक से वनमंत्री फिर सुर्खियों में आ जाएं। इस बैठक के दौरान नाइट पार्टी के आयोजन की भी चर्चा है। यानी, विभाग ने चिंतन से थके अफसरों के मनोरंजन का भी इंतजाम किया है।                                                       

क्‍यों डर रहे हैं मध्‍य प्रदेश के कलेक्‍टर
गुड़ी पड़वा यानी हिन्‍दू नववर्ष प्रदेश के कुछ कलेक्‍टरों के लिए नया तनाव ला रहा है। इसका कारण है उनका कामकाज। असल में मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अप्रैल के दूसरे सप्‍ताह में कलेक्‍टर-एसपी कांफ्रेंस बुलाई है और इस बैठक में कलेक्‍टर और एसपी के कामकाज की समीक्षा होनी है। पिछली कुछ समीक्षा बैठकों में मुख्‍यमंत्री के तीखे तेवर और उसके बाद हुए अफसरों के तबादलों ने मैदानी अफसरों के माथे पर तनाव की लकीरें खींच दी हैं। खासकर जब से यह पता चला है कि मुख्‍यमंत्री सचिवालय कुछ जिलों के कलेक्‍टरों के कामकाज पर एक रिपोर्ट तैयार कर रहा है। मुख्‍यमंत्री इस रिपोर्ट के साथ बैठक में अफसरों से जवाब तलब करने वाले है। तबादले का तनाव अफसरशाही को फिर परेशान कर रहा है। 

ये क्‍या हुआ कलेक्‍टर साहब, सिर मुंडाते ओले गिरे 
कहते हैं, आपदा आनी हो तो कोई उसे टाल नहीं सकता है। ऊंट पर बैठे व्‍यक्ति को भी कुत्‍ता काट लेता है। ऐसा ही हुआ शाजापुर कलेक्टर दिनेश जैन के साथ। उनका एक वीडियो वायरल हुआ है। इस वीडियो में वे खराब काम पर अधिकारियों को फटकारते नजर आ रहे हैं। कोई और समय होता तो साहब का दौरा और काम में लापरवाही पर जिम्‍मेदारों को फटकार के कारण उनकी वाहवाही होती। प्रशंसा भोपाल तक पहुंचती मगर यहां तो सिर मुंडाते ही ओले गिरने की स्थित बन गई है। कलेक्टर साहब को जब खराब क्वालिटी की सड़कें मिलीं तब उन्होंने सीवरेज कंपनी के इंजीनियर से कहा, 'तुम इंजीनियर हो भी या नहीं, अर्जी-फर्जी डिग्री लेकर आ गए। तुम यहां शहर के लोगों को बेवकूफ समझते हो क्या? इसको उठाके बंद कर दो। काम नहीं कर रहा है।’ गुस्‍से में उन्‍होंने एक महिला इंजीनियर से कह दिया, 'क्या व्यापमं से फर्जी नौकरी लगी है। तुम्हें इंजीनियरिंग की जरा भी नॉलेज नहीं।'

इधर, कलेक्‍टर ने महिला इंजीनियर पर तंज कसा और उधर भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी के कारण व्‍यापमं फिर चर्चा में आ गया। व्‍यापमं में गड़बडी की खबरों के साथ कलेक्‍टर के बयान वाला वीडियो भी खूब वायरल हुआ। कहां तो प्रशंसा की उम्‍मीद थी और कहां बेवजह विवाद में आ गए। साहब अब उस पल को कोस रहे हैं जब उनके मुंह से व्‍यापमं का नाम निकल आया था।  

साहब व्‍यस्‍त हैं, ज्ञापन बाद में लाना 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने मंत्रियों और अफसरों को बार बार कहते हैं कि वे जनता के लिए सहज उपलब्‍ध रहें। यहां तक जन समस्‍याएं सुनने के लिए प्रति मंगलवार को जनसुनवाई जैसा प्रयोग किया गया। मगर रतलाम कलेक्टर ने आदेश जारी किया है कि कोई भी संगठन या संस्था ज्ञापन देने के पहले साहब से अपाइंटमेंट ले। कलेक्टर कुमार पुरषोत्तम ने आदेश निकाला है कि अब जिले में किसी भी संस्था और संगठन को किसी भी प्रकार की समस्या संबंधित ज्ञापन देने के लिए कलेक्टर से मिलना है तो उन्हें इसकी पूर्व सूचना देनी होगी। बिना सूचना के कोई आया तो साहब मिलेंगे नहीं। जिला प्रशासन के अधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर आदेश पोस्ट होते ही लोग चटखारे लेने लगे कि अफसर जनता के सेवक हैं या मालिक जिनके पास जनता की समस्‍याओं को सुनने का समय नहीं है। रतलाम जिला बीते कुछ दिनों से लगातार हिन्दू मुस्लिम तनाव का केंद्र बना हुआ है। एक के बाद एक हो रही घटनाओं ने माहौल को बेहद संवेदनशील बना दिया है। ऐसे में कलेक्टर का आदेश उनके तेवर के रूप में देखा जा रहा है।

योगी सरकार बनते ही क्‍यों बढ़ा एमपी की आईएएस का रुतबा 

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की घोषणा होने और टिकट वितरण के साथ ही मध्‍य प्रदेश की सीनियर महिला आईएएस अचानक चर्चा में आ गई थीं। अब जब से योगी आदित्यनाथ ने अपनी कैबिनेट का गठन किया है प्रमुख सचिव स्‍तर की यह महिला अधिकारी लाइमलाइट में आ गई हैं। हों भी क्‍यों न, मध्‍य प्रदेश की इस आईएएस रश्मि अरुण शमी के भाई असीम अरुण योगी सरकार में मंत्री बन गए हैं। कानपुर में कमिश्‍नर रहे आईपीएस असीम अरुण ने मुख्‍यमंत्री यो‍गी आदित्‍य नाथ के कहने पर सरकारी नौकरी छोड़ी थी।

अब जब भाई योगी सरकार में मंत्री हैं तो उनकी धमक का असर मध्‍य प्रदेश में बैठी बहन पर होनी लाजमी है। यहां के प्रशासनिक गलियारों में ही नहीं बल्कि राजनीतिक क्षेत्र में भी इन आईएएस की चर्चा है। कुछ नेताओं ने तो बाकायदा मैडम को बधाई देकर अपने परिचय को पुख्‍ता कर लिया है। इधर, राजनीतिक चर्चाओं में बातों-बातों में यह सवाल भी उछाल दिया जाता है कि पहले लोकसभा और अब यूपी विधानसभा की तर्ज पर क्‍या मध्‍य प्रदेश में भी बीजेपी अफसरों को चुनाव मैदान में उतारेगी? और जो अफसरों को टिकट दिया तो आखिर किसके टिकट काटेगी?