भोपाल। राजधानी के तुलसी नगर इलाके में दिव्य ब्रह्मकमल का फूल खिला है। जिसे देखने लोगों का मजमा लग गया। यह फूल ममता भट्टाचार्य और आशीष भट्टाचार्य की बगिया में खिला है। दोनों को गार्डनिंग का काफी शौख है। उन्होंने करीब सालभर पहले इसका पत्ता गमले में लगाया था। जो अब पौधा बन चुका है। ममता का कहना है कि पिछले दिनों भी पौधे में कली लगी थी, लेकिन वे उसे फूल बनते नहीं देख पाईं। फूल कब खिला और मुरझा गया पता ही नहीं चला। शनिवार शाम ममता और उनके पति आशीष पौधों को पानी दे रहे थे तभी उनकी नजर ब्रह्मकमल की कली पर पड़ी, दोनों ने पौधे का गमला लाकर अपने बारामदे पर रख लिया। ताकि इस बार वे ब्रह्मकमल को खिलते देख सकें। फिर क्या था उनकी मेहनत रंग लाई। शाम 6 बजे के बाद से कली धीरे-धीरे खिलने लगी और करीब 3 घंटे बाद वह पूरी तरह खिलकर फूल बन गई। उसमें से भीनी-भीनी खुशबू आ रही थी।

फूल देखकर दोनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने सबसे पहले इस दिव्य फूल को प्रणाम कर उसकी पूजा और आरती की। उन्होंने यह खुशखबरी अपने पड़ोसियों और दोस्तों से शेयर की। थोड़ी ही देर में लोग वहां दिव्य पुष्प के दर्शन को पहुंचने लगे। माना जाता है कि यह ब्रह्मकमल हिमालय में खिलता है। भोपाल में खिले इस दुर्लभ ब्रह्मकमल को देखने लोग रात करीब 1 बजे तक आते रहे। फिर फूल धीरे-धीरे बंद हो गया।

ममता भट्टाचार्य पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में कार्यरत हैं और उनके पति आशीष भट्टाचार्य पुलिस अफसर हैं। दोनों अपने व्यस्त समय से बागवानी के लिए समय निकालते हैं। उन्होंने अपने गार्डन में कई तरह के पौधे लगा रखे हैं। ममता का कहना है कि इस बार ब्रह्मकमल का फूल देखकर उन्हें लग रहा है कि उनकी मेहनत सफल रही।

 हिमालय के फूलों का सम्राट है ब्रह्मकमल

ब्रह्मकमल में साल में केवल एक बार फूल खिलता है। इसे हिमालय के फूलों का सम्राट कहा जाता है। लोगों का मानना है कि इसका पौधा खरीदना नहीं चाहिए, इसे गिफ्ट में देना और गिफ्ट में पाना शुभ होता है। कहा जाता है इसे लगाने से घर में समृद्धि आती है। ब्रह्मकमल उत्तराखंड का राज्य पुष्प है। इसके पौधे में बारिश के मौसम में जून से अक्टूबर तक ही फूल आते हैं। इसे सामान्य पौधों की ही तरह देखभाल की जरूरत होती है। यह कम पानी में भी आसानी से उगाया जा सकता है। ब्रह्मकमल के पत्तों में फूल खिलता है। वहीं इसका पत्ते को कलम की तरह लगाने से नया पौधा तैयार किया जा सकता है।