इंदौर के दो बीजेपी पार्षदों की आपसी लड़ाई इस हद तक पहुंच गई कि एमआईसी सदस्य बीजेपी नेता जीतू यादव के समर्थकों ने दूसरे बीजेपी पार्षद कमलेश कालरा के घर पर हमला कर दिया। अपनी ही पार्टी के नेता को शर्मिंदा करने के लिए उनके नाबालिग बेटे को परिवार के सामने निर्वस्त्र कर दिया गया। महिलाओं के सामने हुए इस दुर्व्यवहार का वीडियो भी वायरल किया गया ताकि अपमान में कोई कसर न छूटे।
इस घटना पर पुलिस मूक दर्शक ही रही जब तक कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सख्ती के निर्देश नहीं दे दिए। बात तो दिल्ली तक पहुंची गई है। इसबीच पुलिस सक्रिय हुई। कुछ गिरफ्तारियां भी हुई लेकिन मामले में गहरी राजनीतिक बाजियां उजागर हो रही है। इस मामले में जब सिंधी समाज ने प्रदर्शन कर जीतू यादव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की तो यादव समाज भी मैदान में गया। अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा मध्यप्रदेश और समग्र यादव समाज की ओर से जारी स्पष्टीकरण में कहा गया कि वार्ड 24 के पार्षद जीतू यादव नहीं हैं। वे तो जाटव हैं। उनके जाति प्रमाण पत्र के अनुसार वे अनुसूचित जाति चर्मकार समाज से हैं। वे अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित वार्ड से चुनाव लड़ कर पार्षद बने हैं।
समाज ने कहा है कि वे अपने चर्मकार जाटव समाज को मिले आरक्षण और विशेषाधिकार का पूरा उपयोग करते है मगर अपना नाम जीतू जाटव लिखने के बजाय जीतू यादव लिखते है। इस तरह वे यादव समाज द्वारा लिखे जाने वाले सरनेम का अनाधिकृत रूप से दुरूपयोग करते हैं जो अनुचित और अनैतिक है। यादव समाज ने कहा है कि मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव भी यादव समाज से ही हैं। इंदौर में भी यादव समाज के लोगों ने शासन प्रशासन, खेलकूद, पहलवानी,राजनीति, व्यापार व्यवसाय सहित अनेक क्षेत्रों में अपनी साख और धाक जमा रखी है, जिससे प्रभावित हो कर आजकल के कुछ छपरी टाइप के युवा लोग अनाधिकृत रूप से हमारे गौरवशाली यादव समाज के सरनेम "यादव" का दुरूपयोग करने लगे हैं। इन नकली यादवों के दुष्कृत्यों से गौरवशाली यादव समाज की गरिमा बहुत प्रभावित होती है,जिसको रोकने के लिए अब हमारा गौरवशाली यादव समाज अति गंभीर हो कर दृढ़ संकल्पित है।
इंदौर के यादव समाज से कांग्रेस नेता राकेश यादव ने सीएम डॉ. मोहन यादव को एक पत्र भी लिखा है। उनका कहना है कि यादव सरनेम के दुरुपयोग से समाज बदनाम हो रहा है। राकेश यादव का कहना है कि मैंने मुख्यमंत्री जी को 170 लोगों की लिस्ट दी है। इन लोगों ने यादव समाज की संस्थाओं से प्रमाण पत्र लेकर कलेक्टोरेट से जाति प्रमाण पत्र बनवा लिए है। इन लोगों के प्रमाण पत्र बनाने वालों पर भी कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने तो यहां तक कह दिया है कि जब से यादव सीएम बने हैं तब से हर गली मोहल्ले में यादव सरनेम की भरमार हो गई है। वे यादव है या नहीं यह पता करना होगा क्योंकि उनकी हरकतों से पूरा समाज बदनाम होता है।
कांग्रेस के जय संविधान के बरअक्स बीजेपी का संविधान गौरव
संविधान को लेकर एमपी की राजनीति का पारा चढ़ा हुआ है। बीजेपी पर संविधान के अपमान और बाबा साहेब आंबेडकर के अपमान का आरोप लगाते हुए कांग्रेस आक्रामक है। अब इस मुद्दे को पूरे राष्ट्र में फैलाने के लिए कांग्रेस डॉ. भीमराव आंबेडकर की जन्म स्थली महू से जय बापू-जय भीम-जय संविधान अभियान रैली करने वाली है। 27 जनवरी को आयोजित इस रैली कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे खासतौर से उपस्थित रहेंगे। तैयारी है कि रैली में प्रदेश के हर हिस्से से कांग्रेस कार्यकर्ता महू पहुंचे। इस तरह मैदान में कांग्रेस अपनी उपस्थिति को अधिक मजबूत करनी चाहती है।
संविधान पर कांग्रेस को हमलावर देख बीजेपी ने भी प्रदेश में 'संविधान गौरव अभियान' चलाने का ऐलान कर दिया है। बीजेपी का यह अभियान 11 से 25 जनवरी तक चलेगा। 'संविधान गौरव अभियान' के जरिए बीजेपी अपने सभी सांसद, विधायक, मंत्रियों से लेकर संगठन के नेताओं को स्कूलों, कॉलेज में गोष्टी, परिचर्चा करने के साथ समाज के हर वर्ग के बीच जाकर चर्चा करने भेज रही है। बीजेपी का यह अभियान महू में होने वाली कांग्रेस की संविधान रैली के काउंटर प्लान के तौर पर देखा जा रहा है। कांग्रेस ने इसे संविधान के मुद्दे से बीजेपी द्वारा जनता का ध्यान हटाने की कोशिश बताया है।
सिंधिया के लिए संविधान तोड़ा, भार्गव को संविधान ने बचाया
संगठन चुनाव में बीजेपी को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव तो बाद में होगा पहले जिला अध्यक्षों की घोषणा में ही दंगल सामने आया। बड़े नेताओं को साधने में भारी जतन करने पड़ रहे हैं। पहले तो अध्यक्षों के चुनाव में विवाद बड़ा तो दिल्ली ने सूची बुलवा ली। अब जब अध्यक्ष घोषित किए जा रहे हैं तो कहीं पार्टी के संविधान को तोड़ने के आरोप लग रहे हैं तो कहीं संविधान ही रक्षक साबित हो गया है।
अपने समर्थकों को अध्यक्ष बनवाने के लिए क्षत्रपों का संघर्ष मालवा, ग्वालियर-चंबल, बुंदलेखंड, बघेलखंड, महाकौशल हर क्षेत्र में दिखाई दिया है। इन नेताओं को संतुष्ट करने के लिए ही सूचियों को रोका भी गया। अब जब 32 जिलों के अध्यक्ष तय हो चुके हैं तो इससे साफ है कि पार्टी ने दिग्गज नेताओं को संतुष्ट किया है। उज्जैन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव तो विदिशा में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के पसंद के नेता अध्यक्ष बनाए गए हैं। जबकि ग्वालियर में विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के खेमे से अध्यक्ष बनाया गया। ग्वालियर में महल यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया राजनीति तय करते हैं। उन्हें संतुष्ट करने के लिए शिवुपरी में सिंधिया खेमे से जसवंत जाटव को जिलाध्यक्ष बनाया है। बीजेपी में इस निर्णय का विरोध भी हुआ।
करेरा सीट से भाजपा विधायक रमेश खटीक ने जसवंत जाटव के चयन पर आपत्ति जताई है। विधायक खटीक ने कहा है कि किसी ऐसे नेता को जिले की कमान सौंपी जानी थी, जिसकी छवि साफ सुथरी हो, जो सभी को लेकर चले। चुनाव के दौरान जसवंत जाटव ने मेरा खुलकर विरोध किया था। मेरे पास इसके सबूत भी है। उधर, कांग्रेस ने तंज कसा है कि सिंधिया को संतुष्ट करने के लिए बीजेपी ने अपा संविधान ही बदल दिया है। बीजेपी का संविधान कहता है कि अध्यक्ष बनने के लिए पार्टी की छह वर्ष की सदस्यता जरूरी है। जसवंत जाटव चार साल पहले ही सिंधिया के साथ बीजेपी में आए हैं। इसके बाद भी पार्टी ने सिंधिया को खुश करने के लिए मजबूरी में उनके समर्थक को अध्यक्ष बना दिया।
एक तरफ संविधान के उल्लंघन का आरोप है तो दूसरी तरफ सागर में संविधान ने पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव को राहत दे दी। सागर में भूपेंद्र सिंह और गोविन्द सिंह राजपूत के झगड़े के कारण निरपेक्ष बीजेपी कार्यकर्ता श्याम तिवारी को जिला अध्यक्ष बनवा दिया। लेकिन बीजेपी का संविधान बड़े जिलों में शहर और ग्रामीण क्षेत्र के लिए दो अध्यक्ष बनाने की अनुमति देता है। जैसे ही यह पता चला कि पार्टी दो अध्यक्ष बनाने की तैयारी कर रही है, पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ने अपनी समर्थक रानी कुशवाहा का नाम चलाया और रानी कुशवाहा के सहारे वे बाजी मार ले गए। इस तरह राजनीतिक वर्चस्व के समीकरण और दिलचस्प हो गए हैं।
एमपी बीजेपी में दंगल, कोई मिटा रहा, कोई डरा रहा
अध्यक्षों के चुनाव के अलावा भी बीजेपी में वर्चस्व की लड़ाई तेज हो रही है। खासकर कांग्रेस से आए नेताओं को बीजेपी में स्वीकार करने में पार्टी नेताओं को खासी दिक्कत हो रही है। कांग्रेस छोड़ कर आए नेताओं को अधिक तवज्तजो देने से नाराजगी खुल कर सामने आ रही है। ताजा मामला रीवा का है। मनगवां से भाजपा विधायक नरेंद्र प्रजापति ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान की फोटो मंगलवार को शेयर की। इसमें उन्होंने त्योंथर से विधायक कांग्रेस से आए नेता सिद्धार्थ तिवारी को हटाने के लिए उनकी तस्वीर को सफेद रंग से छिपा दिया। इस कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला सहित अन्य नेता भी उपस्थित थे लेकिन तस्वीर केवल सिद्धार्थ तिवारी की छिपाई गई। इस पर सिद्धार्थ तिवारी के समर्थकों ने आपत्ति जताई तो कांग्रेस ने तंज कसे हैं।
हालांकि, विधायक नरेंद्र प्रजापति ने बात संभालने की कोशिश की और कहा कि उन्होंने कार्यकर्ता द्वारा भेजी फोटो पोस्ट कर दी थी। मगर तीर तो चल चुका था और दोनों नेताओं के बीच की पुरानी अदावत फिर सामने आ गई। कांग्रेस ने वर्चस्व की इस लड़ाई पर कहा कि आपसी संघर्ष में बीजेपी नेता एक-दूसरे पर कालिख भी पोतेंगे।
उधर, दमोह में अनुसूचित जाति की 3 बार की विधायक उमादेवी खटीक ने पार्टी के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष पर आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत कर अपनी जान का खतरा बताया है। मामला हटा जनपद पंचायत अध्यक्ष पद के उपचुनाव का है। बीते सप्ताह हुए चुनाव में सत्ताधारी दल बीजेपी दो धड़ में बंटी नजर आई। एक तरफ हटा से बीजेपी विधायक उमादेवी खटीक थी तो दूसरी तरफ बीजेपी से दमोह के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल थे। दोनों के समर्थकों के बीच टाई हुआ और पर्ची में पटले के समर्थक का नाम निकला। हार के बाद विधायक नाराज हो गईं। उन्होंने अपनी ही पार्टी के उन नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. जो उनके खिलाफ और नारेबाजी कर रहे थे। मामला पुलिस ही नहीं प्रदेश कार्यालय तक भी पहुंच गया है।
बुंदेलखंड की देवरी विधानसभा में बीजेपी विधायक बृजबिहारी पटेरिया नगर पालिका के 12 बीजेपी पार्षदों के साथ बीते दिनों भोपाल आ गए थे। वे हर दिन किसी ने किसी बड़े नेता से मिलकर सागर विधायक शैलेन्द्र जैन की शिकायत कर रहे थे। उन्होंने नाराजी जताई कि सागर विधायक उनके क्षेत्र में अनावश्यक हस्तक्षेप कर रहे हैं।