आज के मार्डन दौर में अपराधों के प्रकार भी बदल गए हैं, लोग साइबर क्राइम का शिकार हो रहे हैं। कई बार ऑनलाइन खातों में फ्राड तो, कभी किसी की फेक आईडी बनाकर लोगों से ठगी. सभी मेट्रीमोनियल साइट पर धोखा। और तो और अपराधी सोशल मीडिया पर लोगों की नकली आईडी बनाकर उनकी तस्वीरों तक से छेड़छाड़ कर गरिमा को नुकसान पहुंचाने से नहीं चूकते हैं।

लेकिन अब पुलिस इन ऑनलाइन अपराधियों से दो-दो हाथ करने के लिए पूरी तरह से मुस्तैद हैं। देशभर के पुलिसकर्मियों को साइबर क्राइम की ट्रेनिंग दे रही हैं कामाक्षी शर्मा। 25 वर्षीय कामाक्षी शर्मा गाजियाबद की रहने वाली हैं। उन्हें हैकिंग का शौक है। अब उन्होंने अपने शौक को अपना प्रोफेशन बना लिया है उससे पुलिस की मदद कर रही हैं। वे देश में बढ़ते साइबर क्राइम से निपटने के लिए पुलिस के साथ मिलकर काम कर रही हैं।

कामाक्षी अब तक करीब 5 हजार से ज्यादा साइबर क्राइम के मामले सुलझा चुकी हैं। वे साइबर क्राइम के खिलाफ लड़ाई, जांच समेत 5000 से ज्यादा साइबर क्राइम के मामलों को हल करने का रिकॉर्ड बनाने वाली पहली महिला बन गई हैं। उनका नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड लंदन में दर्ज है। कुछ दिनों पहले कामाक्षी का सम्मान भी किया गया था। उनका सम्मान इंदौर में हुआ था। जिसमें केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले, बॉलीवुड के जानेमाने सिंगर उदित नारायण और समीर रंजन मौजूद थे।

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद निवासी कामाक्षी शर्मा ने 2017 में कंप्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग की। वे साइबर क्राइम में महारत रखती हैं। कॉलेज के दिनों से ही उनकी हैकिंग भी रुचि थी। उन्होंने अपने स्तर पर एथिकल हैकिंग सीखी। सबसे पहले उन्होंने एक केस सुलझाने में गढ़वाल पुलिस की मदद की। आगे चलकर उन्होंने इसे अपना प्रोफेशन बना लिया। अब वे पुलिस और आम जनता को साइबर क्राइम से बचने के लिए तैयार करती हैं।

पढ़ाई के बाद जॉब करने की जगह उन्होंने लोगों को साइबर क्राइम से बचने के लिए जागरुक करने का फैसला किया। उन्होंने देशभर में लोगों की जागरूकता के लिए कैंपेन चलाया। उनके पास कई बड़ी कंपनियों के जॉब आफर्स हैं फिर भी वे उसे स्वीकार नहीं कर रही हैं। 2019 में कामाक्षी ने जम्मू से कन्याकुमारी तक के कई IPS अफसरों को ट्रेनिंग दी थी। इसके लिए उन्होंने महीने भर का अभियान चलाया था।

पुलिस कर्मियों को ट्रेनिंग देने पर उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड फिर एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ। इससे पहले वे इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज करवा चुकी हैं। कामाक्षी के पिता रघु शर्मा दिल्ली में किसी निजी संस्थान में कार्यरत हैं। मां ममता शर्मा गृहिणी हैं। बेटी नित नए रिकॉर्ड्स बना रही है, देश की पुलिस की मदद कर रही है, जिसे सुनकार माता पिता गर्व से फूले नहीं समा रहे हैं। दुनियाभर में साइबर क्राइम के खिलाफ लड़ाई, जांच और केस साल्व करने को लेकर विश्व में पहला स्थान पाकर वे भी बहुत खुश हैं। उनका मानना है कि वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड लंदन द्वारा सम्मान पाकर वे साइबर क्राइम के खिलाफ उनका मिशन और गति पकड़ेगा।