जयपुर। आज कजरी तीज मनाई जा रही है। मौके पर महिलाएं सोलह श्रंगार करती हैं। हाथों में मेहंदी लगाती हैं। राजस्थान में भी अशोक गहलोत समर्थक महिला कांग्रेस विधायक भी तीज के रंग में रंगी नजर आईं। इन दिनों कांग्रेस विधायक जैसलमेर के होटल सूर्यगढ़ में ठहरी हुई हैं। वहां महिला कांग्रेस विधायकों ने अपने हाथों पर 'मेहंदी' लगवाई और तीज मनाई।

भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया को कजरी तीज मनाई जाती है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। इस मौके पर महिलाएं निर्जल रहकर उपवास करती हैं। कुंवारी कन्याएं अच्छे घर-वर की कामना के लिए कजरी तीज का व्रत करती हैं। कजरी तीज को आम बोलचाल की भाषा में कजली तीज भी कहा जाता है। वहीं कुछ स्‍थानों पर इसे बूढ़ी तीज और सातूड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। महिलाएं इस दिन सजती हैं संवरती हैं और अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। यह व्रत राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। गीत संगीत के साथ झूला भी झूला जाता है।

माता पार्वती और भगवान शिव की होती है पूजा

 कजरी तीज पर शिव-पार्वती के साथ नीमड़ी माता की पूजा की जाती है। घर में पूजा के लिए उत्तर या पूर्व दिशा की दीवार के सहारे मिट्टी और गोबर से एक तालाब जैसा छोटा सा घेरा बनाया जाता है। तालाब के किनारे नीम की एक डाल तोड़कर रोपी जाती है। तालाब में कच्‍चा दूध और जल भर कर पूजा की जाती है। तालाब किनारे पर एक दीपक जलाकर विधि विधान से पूजा की जाती है।

कजरी तीज पर पूजा की थाली कैसे तैयार करें

कजरी माता की पूजा के लिए थाली में नींबू, ककड़ी, केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली अक्षत रखा जाता है। माता पार्वती को हल्दी, सिंदूर, मेंहदी, महावर, चूड़ी, बिन्दी,कुमकुम, काजल सत्‍तू, फल, मिठाई और कपड़े चढ़ाए जाते हैं। जिसे पूजा के बाद दान किया जाता है। इस मौके पर कथा पढ़ी जाती है। कजरी तीज पर सुहागिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं। मान्यता है कि भगवान शिव से विवाह के लिए कठोर तपस्या के फलस्वरूप मां पार्वती ने शि‍व को प्राप्त किया था। कजरी तीज पर सत्तू का भोग लगाया जाता है।

कजरी तीज व्रत के हैं खास नियम

देश के कई इलाकों में सुहागिनें कजली तीज का व्रत निर्जला रखती हैं, वहीं कुछ जगहों पर महिलाएं पानी पीकर और फलाहार करके यह व्रत करती हैं। विशेष तौर पर गर्भवती महिलाओं को यह व्रत फल खाकर करने की इजाजत होती है। जो महिलाएं जो अक्सर बीमार रहती हैं, वे एक बार उद्यापन करके इस व्रत को फलाहार करके रह सकती हैं।

चंद्रोदय के बाद खोला जाता है कजरी तीज का व्रत

कजरी या सतुड़ी तीज का व्रत चंद्रोदय के बाद ही समाप्त करने का विधान है। कजरी तीज पर अन्न, घी और मेवा से तैयार पकवान बनाए जाते हैं। व्रत खोलते वक्त सबसे पहले भोग माता नीमड़ी को अर्पित किया जाता है, बाद भोजन किया जाता है।  

कजरी तीज मुहूर्त

तृतीया तिथि प्रारम्भ: 5 अगस्त को 10:50 PM तृतीया तिथि समाप्त: 7 अगस्त को 12:14 AM