बिलासपुर। शव वाहनों के टेंडर में कथित घोटाले का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। इस मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसके बाद कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार से दो हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने का आदेश दिया है। रायपुर के रजनीश शुक्ला की तरफ से दायर याचिका में सरकार पर स्वयंसेवी संस्था को को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर देने का आरोप लगाया गया है।

राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने शव वाहन मुक्तांजलि के लिए 2018 में टेंडर जारी किया था। यह टेंडर भोपाल की एक संस्था को मिला था। 60 टाटा वेंचर गाड़ियों के लिए एग्रीमेंट हुआ था। वहीं शासन की ओर से 20 गाड़ियां देने की बात कही गई थी। प्रदेश में कुल 80 शव वाहन चलाए जाने थे। एग्रीमेंट के हिसाब से मुक्तांजलि शव वाहनों के लिए टाटा वेंचर या उसके जैसे बड़े वाहन चलाए जाने थे, जिससे दूर दराज के लोगों को शव ले जाने में परेशानी का समाना नहीं करना पड़े।

लेकिन टाटा वेंचर की जगह टाटा एस कमर्शियल वाहन में शवों को ढोने का काम किया जा रहा है, इसमें कम जगह होती है, सामने केवल दो लोग ही बैठ सकते हैं, शव पीछे रखा जाता है। वहीं वेंचर वाहन में पांच लोगों के बैठने की जगह होती है। याचिका दायर करने वाले का आरोप है कि सरकार ने संस्था को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर दिया। अपना पक्ष रखने के लिए सरकार को दो सप्ताह का समय दिया गया है। सरकार की तरफ से जवाब मिलने पर ही साफ हो पाएगा कि पूरा मसला क्या है।