कोरोना वायरस महामारी से पड़े आर्थिक असर के बीच अपने पूंजीगत आधार को पटरी पर बनाए रखने के लिए देश के पांच बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक चालू वित्त वर्ष की दूसरी छहामी में संस्थागत निवेशकों को अपने शेयर बेच सकते हैं। इन बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं। शेयरों की यह बिक्री QIP विधि से होगी अर्थात कुछ विशेष संस्थान और निवेशक ही कुछ विशेष शर्तों के साथ इन शेयरों को खरीद सकेंगे। यह बात ध्यान देने की है कि आईसीआईसी, एक्सिस और कोटक महिंद्रा जैसे निजी क्षेत्र के बैंक पिछले तीन महीनों से इसी विधि के तहत अपने शेयर बेच रहे हैं। 

बताया जा रहा है कि बैंकों ने दूसरी छमाही में अपने शेयर बेचने का फैसला इसलिए लिया हो सकता है क्योंकि अक्टूबर के अंत तक वे अपने एनपीए का निर्धारण कर लेंगे और फिर उनके लिए शेयर बिक्री संबंधी फैसले लेना आसान होगा। पंजाब नेशनल बैंक पहले ही साफ कर चुका है कि वो चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही तक अपने पूंजीगत आधार को मजबूत बना लेना चाहता है। 

बैंक के मैनेजिंग डॉयरेक्टर एसएस मल्लिकार्जुन राव ने अंग्रेजी अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया था, "हम तीसरी तिमाही के अंत तक या चौथी तिमाही की शुरुआत में पूंजीगत आधार को ऊपर उठाने की तैयारी कर रहे हैं। इस समय तक हम तिमाही बैलेंस शीट की घोषणा भी कर चुके होंगे।"

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शेयरधारक भी इन बैंकों की शेयर बिक्री को लेकर सहमति जता चुके हैं। एसबीआई के शेयरधारक 20 हजार करोड़ रुपये पीएनबी के शेयरधारक 7 हजार करोड़ रुपये की पूंजी जुटाने की सहमति दे चुके हैं। इसी तरह बैंक ऑफ बड़ौदा और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के शेयर धारक क्रमश: 9 हजार करोड़ रुपये और 6,800 करोड़ रुपये की पूंजी इकट्ठा करने पर सहमति जता चुके हैं।