वाशिंगटन। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर में 10.3 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया है। आईएमएफ का यह अनुमान ऐसे समय आया है, जब रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में 9.5 फीसदी और विश्व बैंक ने 9.6 प्रतिशत गिरावट का अनुमान लगाया है। इससे पहले कई रेटिंग एजेंसियां भी 9 से 10 प्रतिशत गिरावट का अनुमान लगा चुकी हैं। हालांकि, आईएमएफ का कहना है कि अगले वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी में 8.8 फीसदी की वृद्धि होगी। 

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आईएमएफ का यह भी कहना है कि अगले वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि के मामले में भारत चीन को पीछे छोड़ देगा। संस्थान का कहना है कि अगले वित्त वर्ष में चीन की आर्थिक वृद्धि दर 8.2 फीसदी रहेगी। संस्थान ने यह दावा वर्ल्ड इकॉनमिक ऑउटलुक रिपोर्ट में किया है। आईएमएफ और विश्व बैंक की सालाना बैठक से पहले जारी की गई इस रिपोर्ट में वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर में मौजूदा साल में 4.4 फीसदी गिरावट की बात कही गई है। हालांकि अगले साल 5.2 फीसदी की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। 

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दूसरे देशों की अगर बात करें तो इस रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका की अर्थव्यवस्था में इस साल 5.8 फीसदी की कमी आएगी और अगले साल 3.9 फीसदी की वृद्धि होगी। वहीं चीन की अर्थव्यवस्था में ना केवल इस साल 1.9 फीसदी की वृद्धि होगी बल्कि अगले साल भी यह जारी रहेगी। 

विश्व बैंक की बात को दोहराते हुए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि के संशोधित आंकड़ों में सबसे अधिक बदलाव होने का अनुमान है क्योंकि नुकसान अनुमान से कहीं ज्यादा है। विश्व बैंक ने भी कहा था कि भारत के आर्थिक हालात डराने वाले हैं और असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों का भविष्य अधर में है। 

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राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि दर में लगभग 24 फीसदी की ऐतिहासिक गिरावट आई है। विशेषज्ञों ने इसका प्रमुख कारण कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए लगाया गया लॉकडाउन बताया है। हालांकि, कोरोना वायरस महामारी से पहले ही देश की अर्थव्यवस्था धीमी पड़ रही थी। 2019 में देश की अर्थव्यवस्था में 4.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।