भारत की आर्थिक वृद्धि दर में 70 साल की सबसे बड़ी गिरावट

India GDP: CRISIL रेटिंग एजेंसी के मुताबिक भारत की जीडीपी में 9 फीसदी की गिरावट, दूसरी तिमाही में गिरावट का आंकड़ा 12 प्रतिशत होने की आशंका

Updated: Sep 11, 2020, 01:24 PM IST

Photo courtesy: asian age
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दिल्ली। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 9 फीसदी की दर से गिरावट आएगी। क्रिसिल का कहना है कि क्योंकि देश में कोरोना संकट का अभी पीक पर पहुंचना बाकी है और साथ ही केंद्र सरकार भी कोई प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता नहीं दे रही है, इसलिए भारतीय अर्थव्यवस्था पहले के अनुमान के मुकाबले कहीं अधिक सिकुड़ेगी। यह गिरावट 1950 के बाद सर्वाधिक होगी। 

क्रिसिल की तरफ से कहा गया कि सरकार ने कोरोना संकट का सामना करने के लिए 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी, लेकिन असल में जीडीपी का सिर्फ 2 प्रतिशत ही खर्च हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि आर्थिक पैकेज जीडीपी का दस प्रतिशत है।

एजेंसी ने कहा है कि हमारा अनुमान है कि असली जीडीपी में 13 प्रतिशत की कमी आएगी और यह एशिया प्रशांत क्षेत्र में सर्वाधिक होगी। एजेंसी ने यह भी कहा कि अगर भारतीय अर्थव्यवस्था को महामारी के पहले वाले स्तर पर आना है तो अगले तीन वित्त वर्षों में इसे 13 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ना होगा। पिछले वर्ष की अंतिम तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत थी, जो पिछले 11 वर्षों में सबसे कम थी। एजेंसी ने कहा कि सरकार को त्वरित कदम उठाने की जरूरत है। खासतौर पर महामारी से बुरी तरह से प्रभावित हुए समाज के कमजोर वर्ग और छोटे व्यवसायों को तुरंत सहायता दी जानी चाहिए। 

इससे पहले मई में एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में पांच फीसदी गिरावट का अनुमान लगाया था। हाल ही में रेटिंग एजेंसी फिच ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट का अनुमान 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 10.1 प्रतिशत किया है। दोनों एजेंसियों ने अपने अनुमान में संशोधन तब किया है, जब सरकारी आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारी 23.9 फीसदी की गिरावट आई है। यह पिछले 40 सालों में सर्वाधिक है।

सरकारी अधिकारी यह कह रहे हैं कि अर्थव्यवस्था में वी आकार की रिकवरी होगी। क्रिसिल इस बात से इत्तेफाक नहीं रखती है। इसके उलट एजेंसी का कहना है कि महामारी अर्थव्यवस्था को स्थाई नुकसान पहुंचाएगी, एक चोट का निशान छोड़ जाएगी। पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने भी हाल में कहा था कि अर्थव्यवस्था में वी आकार की रिकवरी नहीं हो रही है। 

वी आकार की रिकवरी का अर्थ यह होता है जब अचानक से किसी वजह से अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट आती है, लेकिन फिर परिस्थितियां सही होने पर अर्थव्यवस्था तेज रफ्तार से पटरी पर लौट आती है। हालांकि, अर्थशास्त्रियों का कहना है कि चूंकि महामारी के पहले ही भारतीय अर्थव्यवस्था धीमी पड़ रही थी, इसलिए वी आकार की रिकवरी की आशा रखना बेमानी होगी। भारत में आर्थिक संकट महामारी ने शुरू नहीं किया है बल्कि नोटबंदी और जीएसटी जैसे कदमों से यह शुरू हुआ था। महामारी ने तो बस इसे तेज किया है।