नई दिल्ली। देश के बड़े सरकारी और निजी बैंकों ने बीते पांच सालों में बहुत बड़ी रकम के कर्ज बट्टे खाते में डाले हैं यानी माफ किए हैं। 2020 से लेकर अबतक करीब 7 लाख करोड़ रुपये के कर्ज माफ कर दिए गए। इनमें ज़्यादातर कर्ज वे थे जो कई सालों से नहीं चुकाए गए थे और बैंकों को लगने लगा था कि अब ये पैसे वापस नहीं मिलेंगे।

सरकारी बैंकों में सबसे आगे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) रहा, जिसने अकेले वित्त वर्ष 2024-25 में 26,542 करोड़ रुपये के कर्ज माफ किए। पिछले साल ये आंकड़ा 17,645 करोड़ था। प्राइवेट सेक्टर के आईसीआईसीआई बैंक ने इस बार 9,271 करोड़ रुपये माफ किए, जो पिछले साल 6,091 करोड़ थे। एक्सिस बैंक ने भी 11,833 करोड़ रुपये के कर्ज माफ कर दिए, जबकि पिछले साल ये रकम 8,865 करोड़ थी।

स्टेट बैंक के चेयरमैन सी.एस. शेट्टी का कहना है कि जो छोटे कर्ज लंबे समय तक नहीं चुकाए जाते, उन्हें हम माफ कर देते हैं और फिर वसूली के लिए दूसरी प्रक्रिया अपनाते हैं। ज़्यादातर ऐसे कर्ज छोटे कारोबारियों और किसानों से जुड़े होते हैं। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने संसद में बताया था कि 2020 से 2025 के बीच 12 सरकारी बैंकों ने लगभग 6.98 लाख करोड़ रुपये के कर्ज माफ किए हैं। हालांकि सरकार का कहना है कि यह प्रक्रिया तय नियमों के मुताबिक होती है।

हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिन बड़े कारोबारियों ने बैंक से लिया पैसा नहीं लौटाया, उनके नाम सार्वजनिक नहीं किए जाते, जबकि छोटे किसानों और आम लोगों की कर्जमाफी को खूब प्रचारित किया जाता है। इससे पारदर्शिता पर सवाल खड़े होते हैं और लोगों का भरोसा बैंकिंग सिस्टम से डगमगाने लगता है।