नई दिल्ली : आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने कोविड-19 महामारी और भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने कोरोना संक्रमण के मद्देनजर देशव्यापी लॉकडाउन के कारण वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद GDP में भारी गिरावट दर्ज होने की बात कही है। देश के चुनिंदा बड़े उद्योगपतियों में से एक बिड़ला ने कहा है कि भारत सदी के सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है। 80 फीसदी भारतीय जीडीपी उन जिलों पर निर्भर रहता है जिन्हें रेड और ऑरेंज जोन में रखा गया।

कोरोना वायरस संक्रमण ने दुनियाभर के तमाम देशों की आर्थिक हालत खराब कर दी है। विश्व बैंक और आईएमएफ के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका बड़ा असर पड़ने वाला है। 

शेयरधारकों को लिखे पत्र में बिड़ला ने कहा कि भारत में कोविड-19 ऐसे समय आया है जबकि वैश्विक अनिश्चितता तथा घरेलू वित्तीय प्रणाली पर दबाव की वजह से आर्थिक परिस्थितियां पहले से सुस्त थीं। कोरोना वायरस के कारण भारत की जीडीपी में भारी गिरावाट आयेगी, ऐसा चार दशकों में पहली बार होगा।'

उन्होंने आगे कहा, 'अनिश्चिता के इस धुंध में कुछ भी अनुमान लगाना कठिन है। महामारी पर अंकुश के लिए 2019-20 के आखिरी सप्ताह में राष्ट्रव्यापी बंद लगाया गया, जो विभिन्न इलाकों में 2020-21 की पहली तिमाही में अलग-अलग स्तरों पर जारी रहा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि बेहतर नेतृत्व, ठोस कारोबारी बुनियाद और अच्छी पृष्ठभूमि वाली कंपनियां इस चुनौतीपूर्ण समय में ‘चैंपियन’ के रूप में उभरेंगी। हम अर्थव्यवस्था में गिरावट को देखेंगे लेकिन 2020 की मंदी पूर्व में पैदा हुई ऐसी स्थितियों से भिन्न होगी। यह अचानक आयी और इसका प्रसार ऐसा हुआ है कि प्रत्येक अर्थव्यवस्था और क्षेत्र इससे प्रभावित हुआ है। रोजगार में गिरावट व्यापक रही है।'

रेड और ऑरेंज क्षेत्र में गतिविधियां सबसे ज्यादा प्रभावित

बिड़ला ने कहा है कि एक अनुमान के अनुसार देश का 80 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद उन जिलों से आता है जिन्हें लॉकडाउन के दौरान रेड और ऑरेंज क्षेत्रों के रूप में वगीकृत किया गया था। लॉकडाउन के दौरान इन क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से ठप रहीं। ऐसे में चालू वित्त वर्ष में जीडीपी में गिरावट आएगी और ऐसा चार दशकों में पहली बार होगा। उन्होंने लॉकडाउन को समाज और अर्थव्यवस्था के समक्ष सदी में एक बार आने वाला संकट बताया है। हालांकि उन्होंने सकारात्मक बात यह कही है कि यदि महामारी का दूसरा दौर शुरू नहीं होता है तो यह मंदी सबसे कम अवधि के लिए होगी।