नई दिल्ली। मोदी सरकार ने साफ कर दिया है कि देश भर में लॉकडाउन का एलान करने के बाद कर्ज के भुगतान में जो राहत दी थी, उसे और नहीं बढ़ाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में सरकार ने कहा है कि नीतियां बनाना केंद्र सरकार का काम है और वित्तीय राहत देने के मामले में कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए। सरकार का कहना है कि लॉकडाउन के कारण परेशान लोगों और उद्यमियों को 2 करोड़ रुपये तक के लोन पर छह महीने के लिए ब्याज़ पर ब्याज़ नहीं देना पड़े, इसका एलान वो पहले ही कर चुकी है। लेकिन इससे ज्यादा राहत देना ठीक नहीं है।

और राहत देने से होगा बड़ा नुकसान

मोदी सरकार का कहना है कि अगर और राहत दी गई, तो देश की अर्थव्यवस्था और बैंकिंग सेक्टर को भारी नुकसान हो सकता है। सरकार का मानना है कि लोन मोरेटोरियम के मामले में अर्थव्यवस्था के अलग-अलग सेक्टर्स को पहले ही काफी राहत दी जा चुकी है। अब सरकार के लिए और राहत देना मुमकिन नहीं है।
पिछले हफ्ते ही केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वो 2 करोड़ रुपये तक के लोन के पर देय 'ब्याज पर ब्याज' माफ करने को तैयार है। लेकिन सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि सिर्फ छह महीने के लिए ब्याज पर ब्याज माफ करना काफी नहीं है। कोर्ट ने इस सुनवाई के दौरान यह भी कहा था कि उसके सामने इस सिलसिले में जो याचिकाएं पेश हुई हैं, उनमें उठाए गए कई मुद्दों का समाधान होना अभी बाकी है। अदालत ने केंद्र सरकार से रियल एस्टेट और ​पावर सेक्टर्स को राहत देने के उपायों पर विचार करने को भी कहा था। लेकिन सरकार ने साफ कर दिया है कि ऐसा करना संभव नहीं है।

NPA पर अपना आदेश वापस ले सुप्रीम कोर्ट: RBI

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक लोन मोरेटोरियम समेत लॉकडाउन से जुड़े तमाम वित्तीय मसलों पर रिजर्व बैंक ने भी सुप्रीम कोर्ट में एक विस्तृत हलफनामा पेश किया है। इस हलफनामे में रिजर्व बैंक ने भी लोन मोरेटोरियम के मुद्दे पर लगभग वही सारी दलीलें दी हैं, जो मोदी सरकार ने दी हैं। इसके अलावा रिजर्व बैंक ने सुप्रीम कोर्ट से यह अनुरोध भी किया है कि वो हर तरह के लोन को NPA करार देने पर लगाई गई रोक को हटा ले। RBI ने यह भी कहा कि अगर सुप्रीर्ट कोर्ट ने अपने 4 सितंबर के उस आदेश को फौरन वापस नहीं लिया तो यह न सिर्फ रिज़र्व बैंक के वैधानिक अधिकारों के खिलाफ होगा, बल्कि इससे बैंकिंग सिस्टम को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। 

दरअसल, आरबीआई ने मार्च से अगस्त 2020 के दौरान आम लोगों और कारोबारियों को राहत देने के लिए लोन मोरेटोरियम का ऐलान किया था, ताकि लॉकडाउन के कारण हुए आर्थिक नुकसान के दरम्यान उन्हें हर महीने ईएमआई चुकाने के बोझ से फौरी राहत मिल सके।

रियल एस्टेट, पावर सेक्टर की हालत कोरोना के पहले से खराब थी :RBI
रिज़र्व बैंक ने यह भी कहा कि जहां तक रियल एस्टेट और पावर सेक्टर का सवाल है, इनकी हालत तो कोरोना महामारी के फैलने के पहले से ही अच्छी नहीं थी। RBI ने कहा कि इन सेक्टर्स की समस्याओं का समाधान बैंकिंग नियमों में फेरबदल करके नहीं किया जा सकता है। इसके लिए तो कर्ज देने वाली संस्थाओं और कर्ज लेने वालों को केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक के साथ बैठकर रिस्ट्रक्चरिंग प्लान बनाना होगा। इस मामले में अगली सुनवाई अब 13 अक्टूबर को होगी।