नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भारतीय रिजर्व बैंक की एक ताजा रिपोर्ट का हवाला देते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि मीडिया के जरिए ध्यान भटकाने से नहीं, बल्कि खर्च बढ़ाने और गरीबों के हाथों में पैसे देने से अर्थव्यवस्था पटरी पर आएगी। राहुल बहुत शुरुआत से ही जनता को कैश देने की वकालत करते रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के साथ चर्चा भी की थी। उन्होंने  बार-बार कहा है कि केंद्र सरकार ने जनता की जेब में पैसे इसलिए नहीं डाले क्योंकि उसे डर था कि विदेशी एजेंसियां भारत की रेटिंग कम कर देंगी। 



राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘जिस बारे में मैं महीनों से आगाह कर रहा था उसकी पुष्टि आरबीआई ने की है। सरकार को अब ज्यादा खर्च करने की जरूरत है, कर्ज देने की जरूरत नहीं है। गरीब को पैसा दीजिए, उद्योगपतियों के कर में कटौती नहीं। खपत से अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाइए।’’





कांग्रेस नेता ने कहा कि मीडिया के जरिए भटकाने से गरीबों की मदद नहीं होगी और न ही आर्थिक त्रासदी गायब होगी। गौरतलब है कि मोदी सरकार ने कोरोना वायरस संकट का सामना करने के लिए जो 20 लाख करोड़ रुपये का जो पैकेज जारी किया है, उसका एक बहुत बड़ा हिस्सा कर्ज आधारित मदद से जुड़ा है। वहीं सरकार ने इस पैकेज में करीब 8 लाख करोड़ रुपये के रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीतियों से जुड़े कदमों को भी शामिल किया है। साथ ही पैकेज में सरकार की पुरानी योजनाओं को भी जोड़ लिया गया। 



दूसरी तरफ आरबीआई ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि अर्थव्यवस्था में मांग को पटरी पर आने में लंबा समय लगेगा और इसका कोविड-19 के पहले के स्तर पर पहुंचना सरकारी खपत पर निर्भर करेगा। उसके मुताबिक, भारत को सतत वृद्धि की राह पर लौटने के लिए तेजी से और व्यापक सुधारों की जरूरत है।



केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘‘साल के दौरान अबतक सकल मांग के आकलन से पता चलता है कि खपत पर असर काफी गंभीर है और इसके पटरी पर तथा कोविड-19 के पूर्व स्तर पर आने में लंबा समय लगेगा।’’