दिल्ली। खेती की लागत में एक बार फिर इजाफा होने वाला है। सरकार डीएपी खाद के दाम बढ़ाने की तैयारी में है। जो डीएपी खाद अब तक 1250 रुपए की मिल रही थी, वो अब 1400 प्रति बोरी की दर से बेची जाएगी। नई कीमतें एक अप्रैल से लागू होने की खबर है। पहले डीजल और अब खाद महंगी होने का देश के किसानों पर सीधा असर पड़ेगा।



किसानों पर बोझ बढ़ाने की सरकार की इस नीति का कांग्रेस ने कड़ा विरोध किया है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि देश में डीज़ल महंगा है, खाद लगातार महंगी हो रही है, सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की कोई गारंटी नहीं देती है। कहीं भी किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं है, ऐसे में किसान सत्याग्रह ना करे तो क्या करें?





 



दरअसल तीन महीने पहले ही डीएपी के दाम 1200 रुपए से बढ़ाकर 1250 किए गए थे। अब आने वाली खरीफ सीजन से पहले डीएपी की हर बोरी पर सीधे डेढ़ सौ रुपए की बढ़ोतरी कर दी जाएगी। जिससे किसानों की जेब पर भारी बोझ पड़ेगा। डीएपी के दाम बढ़ने से किसानों में भी नाराजगी है। किसानों की परेशानी यह है कि उनकी फसल के सही दाम नहीं मिल रहे है। उनकी आय में कोई इजाफा नहीं है, फिर भी खेती की लागत साल-दर साल बढ़ती जा रही है। 



दाम बढ़ाने के लिए सरकार की तरफ से तर्क दिया जाता है कि विश्व बाजार में रासायनिक खाद के दाम बढ़ने का असर स्थानीय बाजारों पर पड़ रहा है। जिसके चलते सरकार ने डीएपी की कीमत बढ़ाने का फैसला किया है।

खाद वितरण के क्षेत्र से जुड़े कारोबारियों की मानें तो देश में डीएपी और यूरिया की जो खपत है, उसका 60 प्रतिशत विदेशों से होने वाले आयात से होता है। ऐसे में विश्व बाजार में डीएपी की कीमतें बढ़ने से आयात महंगा हो जाता है। खाद कंपनियां खाद आयात करती हैं और उसी के अनुसार दामों में बढ़ोतरी करती रहती हैं।



मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर डीएपी सहित सभी रासायनिक उर्वरकों की कीमतों में वृद्धि करने का फैसला हो चुका है। लेकिन सभी तरह की खाद एक साथ महंगी नहीं की जाएगी। इसे धीरे-धीरे लागू किया जाएगा। अगर ये खबरें सही हैं, तो इसलिए मतलब यह हुआ कि डीएपी के दाम बढ़ाना तो सिर्फ एक शुरुआत है। आने वाले दिनों में किसानों पर बाकी उर्वरकों की बढ़ी कीमतों की मार पड़ने के भी पूरे आसार हैं।