सोमवार 6 जुलाई से देशभर के किसान कृषि अध्यादेशों व डीजल की बढ़ी कीमतों के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की शुरुआत करेंगे। राष्ट्रीय किसान महासंगठन की कोर कमेटी ने केंद्र सरकार द्वारा लागू किए 3 कृषि अध्यादेशों व डीजल की लगातार बढ़ रही दामों को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू करने का फैसला लिया। संगठन ने केंद्र के अध्यादेशों को किसान विरोधी बताया है वहीं कहा है कि यह विरोध प्रदर्शन किसानों की अस्तित्व बचाने के लिए निर्णायक लड़ाई है। 

किसान नेताओं का कहना है कि सरकार अब 3 कृषि अध्यादेशों के माध्यम से किसानों को फसलों पर मिलने वाली MSP खत्म करने जा रही है। उनका आरोप है कि सरकार मक्के व मूंग को तय MSP पर नहीं खरीद रही है। बुधवार को किसान महासंगठन के अलग-अलग राज्यों के पदाधिकारियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक मेें कहा कि सरकार पहले से ही C2+50% के फार्मूले के अनुसार फसलों का MSP किसानों को नहीं दे रही है और अब डीजल की बढ़ी कीमतों ने किसानों की कमर तोड़ दी है। इसलिए किसानों को अपने अस्तित्व को बचाने के लिए निर्णायक लड़ाई लड़ने का समय आ गया है। अगर 15 जुलाई तक सरकार इस दिशा में कोई ठोस निर्णय नहीं लेती है तो हम प्रदर्शन को और तेज करेंगे। 

विरोध प्रदर्शन के दौरान सोमवार को देशभर के किसान सोमवार को इकट्ठे होकर जिला व तहसील स्तर पर प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंप कर तीनों कृषि अध्यादेश व डीजल की बढ़ी कीमतों को वापस लेने की मांग करेंगे। इस दौरान राष्ट्रीय किसान महासंघ द्वारा अलग-अलग भाषाओं में एक पुस्तिका तैयार कर किसानों के बीच बांटी जाएगी। किसान महासंघ के नेता सभी गैर-राजनीतिक किसान संगठनों को एक मंच पर लाने के लिए अन्य किसान नेताओं से बातचीत कर रहे हैं।