नई दिल्ली। किसानों से जुड़े तीन विधेयकों के मुद्दे पर मोदी सरकार में फूट पड़ गई है। बीजेपी के सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने इन बिलों को न सिर्फ किसान विरोधी करार दिया बल्कि मोदी सरकार में पार्टी की इकलौती मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया। हालांकि शिरोमणि अकाली दल मोदी सरकार को बाहर से समर्थन देना अब भी जारी रखेगा।
यानी शिरोमणि अकाली दल 'किसान विरोधी बिल' के तो खिलाफ है, लेकिन ऐसा बिल लाने वाली सरकार के साथ है। उसके इस दोहरे रुख से उन आरोपों को बल मिल रहा है कि शिरोमणि अकाली दल ने मोदी सरकार से बाहर आने का फैसला पंजाब में कृषि बिलों के खिलाफ हो रहे जोरदार प्रदर्शनों के दबाव में लिया है। ध्यान रहे कि पंजाब के मुख्तसर जिले के बादल गांव में बड़ी संख्या में किसान मोदी सरकार के इन विधेयकों के खिलाफ शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के घर के सामने तीन दिनों से धरने पर बैठे थे। इतना ही नहीं, मीडिया में आई खबरों के मुताबिक शिरोमणि अकाली दल के किसान प्रकोष्ठ के प्रमुख सिकंदर सिंह मलूका तो यह मांग भी कर रहे हैं कि उनकी पार्टी को अब बीजेपी के साथ गठबंधन से भी अलग हो जाना चाहिए। 

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इन विधेयकों का लगातार विरोध कर रही कांग्रेस पार्टी ने हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे का स्वागत किया है। लेकिन इसके साथ ही उसने यह भी कहा है कि अकाली दल को प्रतीकात्मक दिखावे से आगे बढ़कर सच के साथ खड़े होना चाहिए। कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने सवाल किया है कि अकाली दल मोदी सरकार से समर्थन वापिस क्यों नही लेता? कांग्रेस के तमाम बड़े नेता लगातार इन विधयकों को कृषि विरोधी बताते हुए उनका विरोध करते रहे हैं। पार्टी का कहना है कि इन विधेयकों के कानून बन जाने से जहां एक तरफ एमएसपी और खाद्य सुरक्षा को नुकसान पहुंचेगा, वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकारों की आय भी कम हो जाएगी। पार्टी ने यह भी कहा कि इससे सहकारी बैंकों पर केंद्र सरकार का नियंत्रण हो जाएगा, जो संघवाद की भावना के खिलाफ होगा।

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शुरुआत में शिरोमणि अकाली दल इन विधेयकों का समर्थन कर रहा था लेकिन किसानों के विरोध के बाद उसे अपनी राजनीतिक जमीन खिसकती हुई नजर आई। जिसके बाद पार्टी ने बीजेपी से किसानों की आवाज को तवज्जो देने के लिए कहा। जिसके बाद पार्टी नेतृत्व ने व्हिप जारी कर विधेयकों के समर्थन में वोट ना डालने का निर्देश जारी किया।