किसानों के विरोध के बीच लोकसभा में कृषि विधेयक पेश
kisan adhyadesh 2020: बिल पेश करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि जारी रहेगा न्यूनतम समर्थन मूल्य, देश भर में किसानों का विरोध जारी

नई दिल्ली। किसानों और विपक्ष के विरोध के बाद भी केंद्र की मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र से संबंधित तीन विधेयकों को लोकसभा में पेश किया। बिल पेश करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बना रहेगा। ये विधेयक किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य दिलाएंगे। उन्हें निजी निवेश एवं प्रौद्योगिकी भी आसानी से मिल सकेगी।
कृषि मंत्री तोमर ने किसानों के उत्पाद, व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा विधेयक पर किसानों (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता विधेयक और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक को पेश किए। इनके लिए सरकार अध्यादेश ला चुकी है। पारित होने के बाद ये बिल इन अध्यादेशों का स्थान लेंगे। बिल पेश करने का कांग्रेस और अन्य दलों ने विरोध किया है। विपक्ष का कहना है कि सुधार के नाम पर लाए जा रहे ये बिल एमएसपी प्रणाली को खत्म करेंगे और बड़ी कंपनियों द्वारा किसानों के शोषण का रास्ता साफ कर देंगे। विपक्ष का कहना है कृषि और मंडी राज्य का विषय हैं मगर केंद्र सरकार राज्यों से परामर्श के बिना ही विधेयक लेकर आई है।
किसानों (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 कृषि का जीवन बदलने वाला विधेयक है।
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) September 14, 2020
इस विधेयक के बाद निजी निवेश किसान के खेत तक पहुंचेगा, किसान को उत्पादन का उचित मूल्य मिलेगा।https://t.co/7v2f9YBG90
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इन बिलों को मोदी सरकार का किसान विरोधी कदम बताया है। उन्होंने ट्वीट किया है कि किसान ही हैं जो ख़रीद खुदरा में और अपने उत्पाद की बिक्री थोक के भाव करते हैं। मोदी सरकार के तीन 'काले' अध्यादेश किसान-खेतिहर मज़दूर पर घातक प्रहार हैं ताकि न तो उन्हें MSP व हक़ मिलें और मजबूरी में किसान अपनी ज़मीन पूँजीपतियों को बेच दें।
किसान ही हैं जो ख़रीद खुदरा में और अपने उत्पाद की बिक्री थोक के भाव करते हैं।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 14, 2020
मोदी सरकार के तीन 'काले' अध्यादेश किसान-खेतिहर मज़दूर पर घातक प्रहार हैं ताकि न तो उन्हें MSP व हक़ मिलें और मजबूरी में किसान अपनी ज़मीन पूँजीपतियों को बेच दें।
मोदी जी का एक और किसान-विरोधी षड्यंत्र।
कृषि बिल लाए जाने के बाद से देश भर में किसान केंद्र सरकार का विरोध कर रहे हैं। हरियाणा, पंजाब के साथ-साथ अब यूपी में भी किसानों ने अध्यादेश का विरोध शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश में किसानों के एक समूह ने दिल्ली-यूपी सीमा पर केंद्रीय कृषि अध्यादेशों का विरोध करने के लिए दिल्ली बॉर्डर तक मार्च किया।
क्या हैं तीन कृषि अध्यादेश
कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश
इस अध्यादेश में प्रावधान है किकिसान अपनी उपज देश में कहीं भी, किसी भी व्यक्ति यो संस्था को बेच सकते हैं। इसके जरिये सरकार एक देश, एक बाजार की बात कर रही है। सरकार का मानना है कि इससे किसान के अधिकार बढ़ेंगे और बाजार में प्रतियोगिता से फसल के ज़्यादा दाम मिलेंगे। मगर इससे निजी क्षेत्र के वर्चस्व और किसानों के शोषण की आशंका है।
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आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन
किसानों के औने-पौने दामों में खरीदकर उसका भंडारण कर लेने और मौका आने पर कालाबाज़ारी से ऊंचे दाम पर बेचने पर रोक के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 बनाया गया था। इससे व्यापारियों द्वारा कृषि उत्पादों के एक सीमा से अधिक भंडारण पर रोक लगा दी गयी थी। नये विधेयक आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 में आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, दाल, तिलहन, खाद्य तेल,प्याज और आलू जैसी वस्तुओं को हटाया गया है। इससे इन सभी के दामों के अनियंत्रित होने और कालाबाज़ारी बढ़ने का खतरा है।
मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश
यह बिल फसल की बुवाई से पहले किसान को अपनी फसल को तय मानकों और तय कीमत के अनुसार बेचने का अनुबंध करने की सुविधा प्रदान करता है। इससे किसान का जोखिम कम होगा दूसरे, खरीदार ढूंढने के लिए कहीं जाना नहीं पड़ेगा।