मध्य प्रदेश भले ही अपने कृषि प्रदेश के तमगे पर गर्व करता हो लेकिन यहां एंग्रीकल्चर कॉलेजों में पढ़े छात्र-छात्राओं को अपना भविष्य नहीं दिखता।  इस प्रदेश में कृषि विभाग में सालों से लगभग 5 हजार पद रिक्त पड़े हैं लेकिन भर्तियां नहीं हो रही हैं। राज्य का कृषि विभाग असहाय हालत में पहुंच चुका है लेकिन सरकार विभाग के पद भरे जाने को लेकर कोई कदम उठाती नहीं दिख रही है। कृषि की पढ़ाई कर चुके हजारों बेरोजगारों ने खुद पहल करते हुए मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री को चिट्ठी लिखी है।अखिल भारतीय किसान छात्र संघ और छात्र पंचायत मध्य प्रदेश ने कृषि विभाग में ख़ाली पदों की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से पद भरने की मांग की है। 

कृषि छात्रों के साथ नाइंसाफी कर रही है शिवराज सरकार

बेरोजगार छात्रों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार पर कृषि छात्रों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। किसान छात्र संघ का कहना है कि हाल ही में सरकार ने कृषक मित्र से संबन्धित जो फैसला लिया है जिसमें कोई भी योग्यता निर्धारित नहीं है, वो सरासर कृषि छात्रों के साथ नाइंसाफी है। छात्र संघ ने मुख्यमंत्री को इस बात से अवगत कराया है कि प्रदेश भर में हर वर्ष सैकड़ों छात्र - छात्राएं स्नातक एवं स्नातकोत्तर की उपाधि लेकर निकलते हैं लेकिन पिछले कुछ वर्षों से कृषि विभाग में रिक्त पदों पर भर्ती न होने की वजह से प्रदेश के हज़ारों कृषि छात्र बेरोज़गार बैठे हैं।

छात्रों ने इस बाबत मुख्यमंत्री को एक आवेदन-पत्र भेजा है। जिसमें मुख्यमंत्री को याद दिलाते हुए बताया है कि शिवराज ने अपनी पिछली सरकार के दौरान ही कृषि विभाग में ख़ाली पद भरने की घोषणा की थी।

कहां कितने पद रिक्त ?

कृषि विभाग में सहायक संचालक अधिकारी, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी और कृषि विकास अधिकारी समेत कुल नौ पदों पर हजारों नियुक्तियां होनी अभी शेष हैं। मध्य प्रदेश कृषि विभाग में फिलहाल 11997 पदों में से कुल 5129 पद रिक्त हैं। और रिक्त पदों का पूरा ब्यौरा देते हुए छात्रों ने पूछा है कि महोदय शायद इतनी रिक्तियों को देखकर आप भी हैरान हों कि विभाग चल कैसे रहा है। छात्रों ने कृषि मंत्री को याद दिलाया है कि बीते कई वर्षों से वो संघर्ष कर रहे हैं कि इन पदों को भरा जाए लेकिन ६० फीसदी पद खाली होने के बावजूद सालों से भर्तियां रुकी पड़ी हैं। छात्रों ने याद दिलाया है कि इन रिक्तियों की वजह से अनेक किसान हितैषी योजनाएं लागू नहीं हो पा रही है। इसलिए सरकार इसकी गंभीरता को समझते हुए रिक्त पदों पर भर्ती की शुरूआत तेज़ करे।