होशंगाबाद। कोरोना संकट काल में मध्यप्रदेश के हरदा और होशंगाबाद के किसान दोहरी मार झेल रहे हैं। राज्य के इन जिलों में भयंकर जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है और लाखों हेक्टेयर क्षेत्र में मूंग की फसल सिंचाई के इंतज़ार में खड़ी है। किसान नेता राकेश टिकैत से लेकर मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने इस स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की है। कमलनाथ ने मामले पर सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर तत्काल आवश्यक निर्णय लेने की मांग की है।



मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने आज सीएम शिवराज को संबोधित पत्र में लिखा, 'मध्यप्रदेश में ग्रीष्मकालीन फसल मूँग की बुआई व्यापक स्तर पर होशंगाबाद एवं हरदा जिलों में की गई है। इन जिलों में लगभग 3.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मूँग की बुआई हुई है और इस फसल की सिंचाई हेतु किसान भाई मुख्यतः तवा डैम पर निर्भर है। मुझे अवगत कराया गया है कि स्थानीय दबावों के कारण इस वर्ष तवा डेम से नहर में पानी को छोड़ने की विभागीय योजना से भिन्न प्रक्रिया को अपनाया गया और इस कारण से किसान भाईयों को सिंचाई हेतु पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।' 



पत्र में कमलनाथ ने आगे लिखा कि, 'किसान भाई सिंचाई के लिए नहर के पानी का इंतजार कर रहे हैं। वर्तमान में फसल को 15 से 20 दिवस सिंचाई की आवश्यकता और है, परन्तु नहर संचालन में प्रक्रियात्मक त्रुटि किये जाने के कारण जल अभाव की स्थिति बन रही है।' कमलनाथ ने सीएम से अनुरोध किया है कि, 'इस विषय पर संज्ञान लेते हुए तत्काल निर्णय लिया जाए, ताकि सभी किसान भाईयों को सिंचाई हेतु समुचित जल उपलब्ध हो और वे बोई गई फसल की समय पर सिंचाई कर सकें।'



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इन जिलों में उत्पन्न हुए अभूतपूर्व जल संकट का मामला भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी उठाया है। किसान नेता ने कहा कि यदि फसल सूख गई तो इसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी। टिकैत ने ट्वीट किया, 'मध्य प्रदेश के हरदा औऱ होशंगाबाद के किसानों को मूंग के लिए पानी उपलब्ध कराए। पानी न मिलने से किसान बेहाल है। किसानों की फसल सूख गई तो सरकार जिम्मेदार होगी।' 





कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों जिलों में जल संकट राज्य के कृषि मंत्री कमल पटेल की नासमझी के वजह से उत्पन्न हुई है। कृषि विशेषज्ञ व किसान नेता केदार शंकर सिरोही ने बताया कि अमूमन फसल की सिंचाई 'हेड टू टेल' यानी ऊपर से नीचे के खेतों में होती है। लेकिन इस बार कृषि मंत्री ने उल्टी गंगा बहाते हुए 'टेल टू हेड' का नारा दिया और खुद अपने समर्थकों के साथ आकर डैम का गेट खोल गए।



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केदार सिरोही ने कहा कि, 'कृषि मंत्री की इस नासमझी ने फसलों को सिंचाई से वंचितरखा है। पटेल के पानी उपलब्ध करवाने के आश्वासन पर किसानों ने पूर्व के मुकाबले दुगने क्षेत्र में मूंग की बुआई कर दी। अब स्थिति यह है कि फसल को कम से कम 20 दिन की सिंचाई चाहिए, लेकिन डैम में पानी महज 1-2 दिन सिंचाई करने जितना ही बाकी है। ऐसे में स्वाभाविक है कि लाखों एकड़ की फसल बर्बाद होगी।' सिरोही ने कहा कि यदि कृषि मंत्री से गलती हुई है तो उन्हें स्वीकारनी चाहिए। ने सरकार से मांग की है कि जिन किसानों की फसल बर्बाद होगी, राज्य सरकार उसकी जिम्मेदारी लेते हुए किसानों को उचित मुआवजा दे।



हरदा के एक स्थानीय किसान के मुताबिक एक हेक्टेयर क्षेत्र में फसल की बुआई से लेकर कटाई तक करीब 30 हजार रुपए की लागत बैठती है। इस रकम को जोड़ने के लिए उसने लगभग 2,3 जगह से ऋण लेकर रखा है। कुछ ऋण बैंक से उठाया है तो कुछ गांव के ही साहूकारों से। किसान ने बताया कि एक हेक्टेयर में करीब 20 क्विंटल मूंग की पैदावार होती है। यदि पानी नहीं मिला तो सारे फसल सूख जाएंगे और वो कर्ज़ तले दब जाएगा।