पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरूआत धनतेरस दिन से हो जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाई जाती है। पंचांग भेद की वजह से यह दो दिन 12 और 13 नवंबर को मनाई जा रही है। 

पंचांग भेद के कारण दो दिन मनेगी धनतेरस

पंचांग के अनुसार 13 नवंबर को उदयातिथि में त्रयोदशी होगी, इसलिए इस दिन धनतेरस मनाना ज्यादा शुभ होगा। 13 नंवंबर को ही प्रदोषकाल में रुप चतुर्दशी भी मनाई जाएगी। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि धनतेरस दिवाली के दो दिन पहले मनाई जाती है, इस हिसाब से 12 नवंबर को धनतेरस मनाई जाएगी।

भगवान गणेश, लक्ष्मी, कुबेर और धन्वन्तरि की होगी पूजा

धनतेरस पर भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और कुबेर भगवान की पूजा की जाती है। मान्यता है कि समुद्र मंथन से भगवान धन्वन्तरि धनत्रयोदशी के दिन अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। धनतेरस पर नई चीजें खरीदने से माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर का वास घर में हो जाता है।

निरोगी शरीर के लिए धनतेरस पर आरोग्य के भगवान धन्वन्तरि की पूजा-अर्चना करने का भी विधान है। उनकी कृपा से स्वास्थ्य और लम्बा जीवन प्राप्त होता है।  

धनतेरस पर खरीदारी से आएगी समृद्धि

धनतेरस पर सोना, चांदी, पीतल, कांसा खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। बर्तन, सिक्के, दीपक, गहने खरीदे जा सकते हैं। इस दिन नई झाड़ू खरीदना भी अच्छा माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन झाड़ू खरीदने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। इस दिन एल्यूमीनियम का सामान नहीं खरीदना चाहिए, यह दुर्भाग्य का सूचक मानी जाती है।

धनतेरस के दिन खरीदे गए बर्तनों में पूजा से पहले जल या अक्षत से भर देना चाहिए। धनतेरस के मौके पर काला सामान, प्लास्टिक और कांच भी खरीदने से बचना चाहिए। दीवाली के 5 दिनों में किसी को उधार नहीं देना चाहिए।  

शुक्रवार को धनतेरस मनाई जाएगी, शुक्रवार को माता लक्ष्मी का दिन माना गया है। इस दिन खरीदारी करना शुभ होता है। मां लक्ष्मी की विशेष कृपा रहेगी। धनतेरस पर घर में रंगोली बनाकर दीपक जलाने की भी परंपरा है।