अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में 2020 में 4.5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है और यह ऐतिहासिक गिरावट होगी। कोरोना वायरस महामारी और इसे रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के चलते अधिकांश आर्थिक गतिविधियां ठप होने के कारण इतनी बड़ी गिरावट आने का अनुमान है। वहीं संस्थान ने 2020 में वैश्विक वृद्धि दर में 4.9 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान जताया है। यह अप्रैल 2020 में जारी विश्व आर्थिक परिदृश्य के अनुमान से और 1.9 प्रतिशत कम है।

मुद्रा कोष की मुख्य अर्थशास्त्री भारतीय-अमेरिकी गीता गोपीनाथ ने कहा, ‘‘इस विकट संकट को देखते हुए हमारा अनुमान है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में 2020 में 4.5 प्रतिशत की गिरावट आएगी। यह अनुमान ऐतिहासिक रूप से नीचे है। कमोबेश यही स्थिति सभी देशों की है।’’

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी का 2020 की पहली छमाही में आर्थिक गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। यह अनुमान से कहीं ज्यादा व्यापक है और सुधार पहले के अनुमान के मुकाबले धीमा है। वर्ष 2021 में वैश्विक वृद्धि 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

यह पहली बार है जब साल 2020 में सभी क्षेत्रों में गिरावट का अनुमान है। चीन में जहां पहली तिमाही में तीव्र गिरावट के बाद सुधार जारी है, वहां 2020 में वृद्धि दर 1.0 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है। आईएमएफ ने कहा है कि ‘‘भारत की अर्थव्यवस्था में 4.5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है। इसका कारण अधिक समय तक ‘लॉकडाउन’ और अप्रैल में अनुमान के विपरीत धीमा सुधार है।’’ मुद्राकोष के रिकॉर्ड के अनुसार 1961 के बाद से यह सबसे धीमी वृद्धि है। आईएमएफ के पास उससे पहले का आंकड़ा नहीं है।

गोपीनाथ ने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी के कारण अर्थव्यवस्था को महा बंद का सामना करना पड़ा। इससे वायरस को काबू में करने और जीवन को बचाने में मदद मिली लेकिन महा मंदी के बाद यह सबसे बड़ी नरमी की चपेट में भी आई है।’’