बेरूत में पिछले सप्ताह बंदरगाह पर हुए धमाके और इसके बाद जनता में भड़के गुस्से एवं प्रदर्शनों के मद्देनजर लेबनान के प्रधानमंत्री हसन दियाब ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने 10 अगस्त की शाम को इसकी घोषणा की थी। इससे कुछ देर पहले दियाब के मंत्रिमंडल ने भी इस्तीफा दे दिया था।

इस धमाके के लिए उन्होंने देश के कथित भ्रष्ट शासकीय वर्ग को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि वे इस भ्रष्ट वर्ग के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे, जो लेबनान की बर्बादी के लिए जिम्मेदार है। हसन ने कहा कि इसी कारण यह वर्ग उन्हें पसंद नहीं कर रहा था।

टीवी पर प्रसारित अपने संक्षिप्त भाषण में दियाब ने कहा कि वह ''एक कदम पीछे'' जा रहे हैं ताकि वह लोगों के साथ खड़े होकर बदलाव की लड़ाई लड़ सकें। दियाब को जनवरी में लंबी अस्थिरता के बाद लेबनान का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था।

हालांकि, राष्ट्रपति माइकल ऑन ने सरकार को तब तक केयरटेकर की तरहह काम करने के लिए कहा है जब तक नई कैबिनेट ना गठित हो जाए।

दियाब ने कहा, “पिछले छह महीनों में उनकी सरकार ने देश को आगे ले जाने के लिए बड़े कदम उठाए। लेकिन देश में भ्रष्टाचार राज्य से कहीं अधिक ताकतवर है जो हमें बदलाव से रोकता है। देश का भ्रष्ट शासकीय वर्ग अपने हितों की रक्षा करने के लिए गंदे कदम उठाने से भी नहीं हिचकता।”

उन्होंने कहा कि इस भ्रष्ट शासकीय वर्ग को पता है कि हम उनके लिए खतरा हैं और हमारी सरकार की सफलता इस वर्ग को चुनौती देने वाली है, जिसके भ्रष्टाचार ने लेबनान को बर्बाद कर दिया है।

बेरुत बंदरगाह पर हुए जबरदस्त धमाके में अब तक 220 लोग मारे जा चुके हैं, करीब 110 लोग लापता हैं और 6 हजार से अधिक घायल हैं। इस धमाके से तीन लाख से अधिक लोग बेघर हो गए हैं। यह धमाका 2,750 टन अमोनियम नाइट्रेट में विस्फोट से हुआ, जो कई सालों पर बेरुत बंदरगाह पर इकट्ठा किया जा रहा था। इस धमाके से करीब तीन खरब डॉलर का नुकसान हुआ है।