रूस के पूर्वी प्रायद्वीप कामचटका में दुनिया का छठा सबसे बड़ा भूकंप आया है। US जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के मुताबिक भूकंप की तीव्रता 8.8 थी। यह भारतीय समयानुसार बुधवार सुबह 4:54 बजे आया।अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (यूएसजीएस) के मुताबिक भूकंप का केंद्र समुंद्र में 20.7 किलोमीटर की गहराई पर था। भूकंप का केंद्र कमचटका प्रायद्वीप में पेट्रोपावलोव्स्क से करीब 136 किलोमीटर पूर्व में था।
इस भूकंप की वजह से उत्तरी प्रशांत क्षेत्र में सुनामी आ गई। रॉयटर्स के मुताबिक कामचटका में 5 मीटर तक ऊंची सुनामी आई है। इसकी वजह से कई इमारतों को नुकसान पहुंचा है। कामचटका के गवर्नर व्लादिमीर सोलोदोव ने वीडियो पोस्ट कर कहा कि आज का भूकंप दशकों में सबसे शक्तिशाली था। उन्होंने कहा कि एक किंडरगार्टन स्कूल को नुकसान पहुंचा है।
भूकंप के तुरंत बाद रूस, जापान, अमेरिका (हवाई, कैलिफोर्निया, वाशिंगटन) समेत कई देशों में सुनामी अलर्ट जारी कर दिया गया है। तेजी से उठती समुद्री लहरों ने रूस के बंदरगाह शहर सेवेरो-कुरील्स्क को चपेट में ले लिया है। लाखों लोग सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए जा चुके हैं जबकि कई तटीय शहरों में बंदरगाह, होटल और हवाई अड्डे बंद कर दिए गए हैं। जापान में भी तटीय इलाकों में लोगों को उच्च स्थानों की ओर जाने के निर्देश दिए गए हैं।
सुनामी की चेतावनी रूस, जापान, अमेरिका के अलास्का, हवाई और न्यूजीलैंड के दक्षिणी इलाके में जारी की गई। भूकंप के केंद्र से न्यूजीलैंड की दूरी करीब छह हजार किमी है। यह भूकंप की तिव्रता को समझने के लिए काफी है कि न्यूजीलैंड में भी सुनानी की चेतावनी जारी की गई है। जापान मौसम विज्ञान एजेंसी के मुताबिक लगभग 30 सेंटीमीटर ऊंची सुनामी की पहली लहर होक्काइडो के पूर्वी तट पर स्थित नेमुरो तक पहुंच गई।
अमेरिका, जापान समेत करीब 12 देश सुनामी के खौफ में हैं। जापान के NHK टेलीविजन के मुताबिक, देश के पूर्वी तट के पास एक फुट ऊंची पहली सुनामी लहरें पहुंची हैं। जापान ने राजधानी टोक्यो में 20 लाख लोगों को सुरक्षित जगहों पर जाने के लिए कहा है। इसके अलावा अपने फुकुशिमा परमाणु रिएक्टर को खाली को करा लिया है। अमेरिका के अलास्का और हवाई द्वीप तक सुनामी की लहरें पहुंच गई हैं।
हवाई के उत्तर तट पर सुनामी के कारण संभवतः बाढ़ की स्थिति बनेगी, जबकि अमेरिका के पश्चिमी तट पर लहरें अपेक्षाकृत छोटी हो सकती हैं। वाशिंगटन विश्वविद्यालय और NOAA के पैसिफिक मरीन एनवायरनमेंटल लैब के वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक योंग वेई ने चेताया है कि सुनामी की लहरें सामान्य समुद्री लहरों से बहुत अलग होती हैं। उन्होंने बताया कि ये लहरें लगभग 700 किलोमीटर प्रति घंटे (435 मील प्रति घंटे) की गति से चलती हैं, जो कि एक जेट विमान की गति के बराबर है। जैसे ही ये लहरें किनारे के करीब पहुँचती हैं और पानी का गहराई कम होती है, ऊर्जा लहर की ऊंचाई में बदल जाती है, जिससे तटवर्ती क्षेत्रों में भारी नुकसान हो सकता है।
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के मुताबिक यह अब तक के दर्ज छह सबसे शक्तिशाली भूकंपों में गिना जाएगा। इससे पहले इसी तीव्रता के दो और बड़े भूकंप हुए थे। एक 2010 में चिली के बायोबियो क्षेत्र और दूसरा 1906 में इक्वाडोर के एस्मेराल्डास में आए थे। USGS के मुताबिक, चिली के भूकंप में 523 लोगों की मौत हुई थी और 3.7 लाख से ज्यादा घर तबाह हो गए थे। वहीं, इक्वाडोर के भूकंप से आई बड़ी सुनामी ने 1,500 लोगों की जान ली थी और लहरें अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को तक पहुंच गई थीं।
एक और दिलचस्प बात यह है कि अब तक पांचवां सबसे भीषण भूकंप भी रूस के कामचटका इलाके में ही आया था। यह भूकंप 1952 में आया था और इसे दुनिया का पहला दर्ज किया गया 9 तीव्रता का भूकंप माना जाता है। उस भूकंप ने एक भीषण सुनामी पैदा की थी, जिसने हवाई को तबाह कर दिया था और वहां 10 लाख डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ था।
कोलंबिया ने अपने प्रशांत महासागर से लगे कुछ इलाकों में सुनामी का खतरा देखते हुए चेतावनी जारी की है। खास तौर पर नारिनो और चोको जैसे तटीय विभागों में समुद्र तटों को बंद कर दिया गया है और समुद्र में आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। सरकारी आपदा प्रबंधन एजेंसी ने लोगों से कहा है कि वे सतर्क रहें और निचले इलाकों को खाली करके ऊंचे स्थानों पर चले जाएं। यह एक एहतियाती कदम है, ताकि किसी भी खतरे से बचा जा सके।