पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कश्मीर को लेकर फिर से विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने 26 जून को कहा कि वे कश्मीरियों के मुद्दे उठाने के लिए उनके दूत बन जाएंगे।

भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाए जाने के बाद पाकिस्तान लगातार कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने का प्रयास करता रहा है। हाल ही में इस्लामिक सहयोग संगठन के एक कॉन्टैक्ट समूह में कश्मीर मुद्दे का हल तय अंतराराष्ट्रीय प्रक्रियाओं के तहत निकालने की बात कही गई थी। भारत ने इसके ऊपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि कश्मीर पूरी तरह से उसका आंतरिक मामला है और किसी को इसमें दखल देने का अधिकार नहीं है।

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इस्लामिक सहयोग संगठन के कॉन्टैक्ट समूह ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कश्मीरियों के अधिकारों की बहाली को लेकर अपील भी की और खुद भी कश्मीर के लोगों के प्रति अपना समर्थन जताया। कॉन्टैक्ट समूह की इस बैठक में पाकिस्तान ने कश्मीर का मुद्दा उठाया था।

वहीं, भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को स्पष्ट रूप से कह दिया है कि संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त करना देश का आंतरिक मामला है। उसने पाकिस्तान को भी वास्तविकता स्वीकार करने और भारत-विरोधी दुष्प्रचार बंद करने की सलाह दी है। इमरान खान ने अपने बयान में कहा कि पांच अगस्त को इस दृढ़ निश्चय के साथ मनाया जाएगा कि ‘‘कश्मीर के लिए भारत की मंशा को सफल नहीं होने देना है।’’ उन्होंने कहा कि वह कश्मीरियों के दूत बन जाएंगे और पूरी दुनिया को बताएंगे कि उन्हें (कश्मीरियों को) क्या खतरा महसूस होता है। खान ने कहा कि उन्होंने विभिन्न देशों के शासनाध्यक्षों और राष्ट्राध्यक्षों के साथ अपनी बैठकों में कश्मीर का मुद्दा उठाया है।