नई दिल्ली/भोपाल। सीएम मोहन यादव के नेतृत्व में मध्य प्रदेश सरकार कर्ज की दलदल में धंसती जा रही है। एक ओर राज्य सरकार के पास योजनाओं को जारी रखने के लिए फंड नहीं है। उधर, केंद्र सरकार की ओर से भी राज्य को लगातार झुनझुना थमाया जा रहा है। केंद्र सरकार की ओर से भी राज्य सरकार को वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में योजनाओं के लिए पर्याप्त बजट नहीं दिया गया।
दरअसल, चालू वित्त वर्ष में राज्य सरकार को केंद्र सरकार से 44355.95 करोड़ दिए जाने का प्रावधान किया गया है, इसके विपरीत केंद्र सरकार ने अब तक 8027.12 करोड़ रुपए ही राज्य सरकार को दिए हैं। यह केंद्र से मिलने वाली अंश राशि का सिर्फ 18.07 प्रतिशत है। इसका असर प्रदेश में केंद्र सरकार के सहयोग से चलने वाली योजनाओं पर भी पड़ना तय है।
मोहन सरकार के राजस्व जुटाने वाले विभाग पहली छमाही के लिए तय टारगेट के मुकाबले पांच हजार करोड़ से अधिक का राजस्व नहीं जुटा पाए हैं। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इस साल अब तक अलग-अलग विभागों में केंद्र और राज्य सरकार की मदद से संचालित जिन योजनाओं के लिए फंड नहीं दिया है, उसमें एमपी में खोले जा रहे नए मेडिकल कॉलेज, उपस्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना, पीएम आवास योजना शहरी, पीएम ई बस योजना, जल जीवन मिशन का काम, ई विधान समेत अन्य योजनाओं के लिए राशि नहीं मिलना शामिल है।
केंद्र के हिस्से की राशि नहीं मिलने के कारण राज्य सरकार इन योजनाओं में अपने हिस्से की राशि नहीं मिला रही है। ऐसे में ये योजनाएं रुकी हुईं हैं। हैरानी की बात ये है कि केंद्र से मिलने वाले इस फंड को दिलाने में केंद्र में एमपी का नेतृत्व करने वाले केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान और एमपी के दिग्गज मंत्री प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय भी कमजोर साबित हुए हैं। ये भी ऐसे समय में जब प्रदेश लगातार कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है।
इसे लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सीएम मोहन यादव पर निशाना साधा है। कमलनाथ ने एक्स पोस्ट में लिखा, 'यह कितने शर्म की बात है कि प्रदेश की छवि भ्रष्टाचार के कारण इतनी ख़राब हो गई है कि भाजपा की केंद्र सरकार मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार पर भरोसा नहीं कर पा रही। प्रधानमंत्री आवास और मनरेगा जैसी ग़रीब और वंचित तबकों से जुड़ी योजनाओं में भी मध्य प्रदेश को स्वीकृत राशि से बहुत कम राशि आवंटित हुई है। ज़रूरत इस बात की है कि मध्य प्रदेश सरकार वित्तीय कुप्रबंधन पर अंकुश लगाए। भ्रष्टाचार पर नकेल कसे। और हर हालत में जनकल्याण की योजनाओं के लिए पैसा उपलब्ध कराए।'