इंदौर। दीपों के त्योहार पर जब पूरा इंदौर मां लक्ष्मी की आराधना और खुशियों के माहौल में डूबा हुआ था, उसी रात शहर के चार परिवारों ने अपनों को खोने के दुख में भी ऐसा कार्य किया जिसने मानवता की एक नई मिसाल पेश कर दी है। इन परिवारों ने अपने दिवंगत परिजनों की आंखें दान कर आठ लोगों की जिंदगी में नई रोशनी भर दी।

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सोमवार रात चोइथराम अस्पताल और राऊ स्थित शिव सागर कॉलोनी से मुस्कान ग्रुप के सेवादार जीतू बगानी और संदीपन आर्य को नेत्रदान के लिए फोन आए थे। चार अलग-अलग परिवारों ने बताया कि उनके प्रियजनों का निधन हो गया है और वे दीपावली जैसे पावन पर्व पर नेत्रदान के माध्यम से दूसरों को रोशनी देना चाहते हैं। मुस्कान ग्रुप ने तुरंत अस्पतालों और नेत्र बैंक से समन्वय कर नेत्रदान की प्रक्रिया शुरू करवाई। रात करीब डेढ़ बजे यह नेक कार्य संपन्न हुआ।

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दिवंगत जिन्होंने नेत्रदान कर जगाई उम्मीद
नेत्रदान करने वालों में शिवधाम निवासी 80 वर्षीय कमलादेवी बागजई, सुखदेव नगर निवासी प्रकाशचंद्र जैन (80), शिव सागर कॉलोनी राऊ की अनुराधा व्यास (73) और न्यू पलासिया के रॉयल पार्क निवासी विजयेश खंडेलवाल (64) शामिल हैं। इनमें से कमलादेवी और प्रकाशचंद्र जैन का निधन अस्पताल में हुआ था। जबकि, अनुराधा व्यास और विजयेश खंडेलवाल का देहांत घर पर कार्डियक अरेस्ट के कारण हुआ था। परिजनों ने कहा कि दिवाली के अवसर पर नेत्रदान से बढ़कर कोई पुण्य कार्य नहीं हो सकता है।

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नेत्रदान की इस प्रक्रिया को सफल बनाने में नंदलाल खतुरिया, नवीन लखमानी, डॉ. उत्तम जैन, दीपेश व्यास, कुणाल अग्रवाल और निवेदिता गोयल (एमके इंटरनेशनल आई बैंक) की टीम ने अहम भूमिका निभाई। सभी ने रात डेढ़ बजे तक मिलकर आंखों को सुरक्षित रूप से संरक्षित किया और उन्हें जरूरतमंद मरीजों तक पहुंचाने की प्रक्रिया पूरी की। दीपावली की जगमगाती रात में इन चार परिवारों ने यह साबित किया कि सच्ची रोशनी सिर्फ दीपों से नहीं बल्कि करुणा और दान से फैलती है। जब लोग अपनों को खोने के दुख में डूबे थे तब उन्होंने दूसरों के जीवन में उजाला भरने का निर्णय लेकर मानवता की ऐसी मिसाल कायम की जिसे शहर लंबे समय तक याद रखा जाएगा।