तेहरान। ईरान में आखिरकार महिल प्रदर्शनकारियों की जीत हुई है। ढ़ाई महीने से भी अधिक समय से चल रहे हिजाब विरोधी आंदोलन के सामने कट्टरपंथी ईरान सरकार को झुकना पड़ा है। ईरान सरकार ने महसा अमिनी की हत्या में शामिल मोरलिटी पुलिस की यूनिट को भंग कर दिया है।

बता दें कि यह प्रदर्शन महसा अमीनी की गिरफ्तारी और मोरेलिटी पुलिस की कस्टडी में उनकी हत्या के बाद शुरू हुए थे। अमीनी को देश के बेहद कड़े महिला ड्रेस कोड के कथित उल्लंघन पर गिरफ्तार किया गया था।

यह घटना 16 सितंबर की थी, तब 22 साल की कुर्दिश मूल की ईरानी महिला महसा अमीनी अपने परिवार के साथ तेहरान गई थीं। उसी दौरान उन्हें हिजाब कानून के उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक गिरफ्तार किए जाने के तीन दिन बाद अमीनी की कथित मौत हुई।

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मोरेलिटी पुलिस को ईरान में गश्त-ए-इरशाद या गाइडेंस पैट्रोल के नाम से जाना जाता है। इसे कट्टरपंथी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद के कार्यकाल में गठित किया गया था। इसका कथित उद्देश्य "सभ्यता और हिजाब की संस्कृति का विस्तार" करना था। यह पुलिस हिजाब नहीं पहनने पर महिलाओं को गिरफ्तार कर लेती है और टॉर्चर करती है। 

दशकों से प्रताड़ना की शिकार ईरानी महिलाओं ने अमीनी की मौत के बाद भारी विरोध किया था। पिछले करीब ढाई महीने से ईरान की महिलाएं एकजुट होकर सड़कों पर थी। इस विरोध प्रदर्शन में करीब 300 लोगों की जान गई और 14 हजार लोग जेल भेजे गए। हालांकि, आखिरकार कट्टरपंथी सरकार को झुकना पड़ा।