पाकिस्तान में विपक्ष के वर्चस्व वाली सीनेट ने एफएटीएफ द्वारा निर्धारित कड़ी शर्तों से जुड़े दो विधेयकों को खारिज कर दिया, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादियों को धन मुहैया कराए जाने पर निगरानी रखने वाली वैश्विक संस्था द्वारा काली सूची में डाले जाने से बचने के सरकार के प्रयास जोखिम में पड़ गए हैं। इस कदम पर प्रधानमंत्री इमरान खान ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है जिन्होंने विपक्षी नेताओं पर उनके अवैध धन को बचाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।



मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी (दूसरा संशोधन) विधेयक और इस्लामाबाद राजधानी क्षेत्र (आईसीटी) वक्फ संपत्ति विधेयक को सीनेट ने 25 अगस्त को ध्वनि मत से खारिज कर दिया। इससे एक दिन पहले ही नेशनल असेंबली ने दोनों विधेयक पारित किए थे। ये विधेयक पाकिस्तान द्वारा एफएटीएफ की काली (ग्रे) सूची से निकलकर सफेद सूची में जाने के प्रयासों का हिस्सा थे।



पेरिस स्थित वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे सूची में डाला था और उससे 2019 के अंत तक कार्य योजना लागू करने को कहा था लेकिन कोविड-19 के चलते यह समय सीमा बाद में बढ़ा दी गई थी। पाकिस्तानी अखबार डॉन ने खबर दी कि 104 सदस्यीय सीनेट ने दोनों विधेयक खारिज कर दिए, जब सदन के नेता शहजाद वसीम ने पिछले हफ्ते विपक्षी नेता के खिलाफ की गई अपनी टिप्पणियों पर माफी मांगने से इनकार कर दिया था। सीनेट में विपक्ष के पास बहुमत है। वसीम ने विपक्षी नेताओं का नाम लिए बिना उनपर मनी लॉन्ड्रिंग में लिप्त होने का आरोप लगाया।  इन विधेयकों पर अब संसद के संयुक्त सत्र में मतदान कराया जाएगा।



प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्वीट किया, “आज सीनेट में, विपक्ष ने एफएटीएफ से संबंधित दो अहम विधेयकों को खारिज कर दिया- मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी विधेयक और आईसीटी वक्फ विधेयक। पहले दिन से मैं इस बात पर कायम हूं कि विपक्षी नेताओं के स्वार्थी हित और देश के हित भिन्न हैं।”



 





उन्होंने कहा, “विपक्षी नेता संसद को कार्य करने से रोकने की कोशिश कर अपने अवैध पैसे को बचाने के लिए बेताब हैं- पहले सरकार की प्रभावी कोविड-19 रणनीति को कमतर बताकर और अब एफएटीएफ की काली सूची से निकलने के पाकिस्तान के प्रयासों को नाकाम कर।”



सरकार और विपक्ष के बीच में तनाव उन आरोपों को लेकर कई दिन से चल रहा है कि विपक्ष के शीर्ष नेता भ्रष्टाचार के मामलों में राहत तलाश रहे हैं।